कुंण न देऊं अब ओळमो,
अर कुंण न मं समझाऊँ ।
आधी रह गी हिम्मत हिवड़ा री,
थारा बिणा कियाँ सराउं ।-
हिंगोड़ा री हेवां, गुल्फ़ियाँ रा गोळा, खोपरे रा बंटा
बीड़ियों रा बण्डळ, बिस्कुटाँ रा पुडा़ न मेलमाळ्या
खोज़्या में घाल रिपिया न बन्नासा मेळा में पधारया
हिन्ढ़ा हिन्ड़ता टाबरिया जो़रुं पिंपाड़ियाँ बज़ावता
काजळ, टिकियों रा पत्ता लेवे लाख़ रा चुड़ा पाट़ला
अरोगे पाणी रा पताशा बायाँ सा लेवे ल़ावा मेळे रा
भरीजै मेळा लाख़ी ध्यावे धर्म जातरू पूजै देवी देवता
मेळे हाट बिकता ऊँट-घोड़ा-बळ्द छकड़ा ज़नावरिया
लोक संस्कृति रा ठावा होवे मेळा रँगीळे राजस्थान रा
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घेर दार बगीचों ग़ुळाब दार बगीचों ,वण बगीचे थाने घुमण ने ले जावु बनडी...
पैदल चाळु तो कंकड भागे ओ बनसा..
वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
कंकड भागे तो सैंडल मंगवाऊ ओ बनडी..
घेर दार बगीचों ग़ुळाब दार बगीचों...
सैंडल पेहरु तो एडी ढळकै ओ बनसा..
वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
एडी ढळकै तो गाडी मंगवाऊ ओ बनडी..
चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
गाडी में बैठु तो हस्का आवे ओ बनसा,
हस्का आवे तो म्हारा खोडीया में बैठावु ओ बनडी,
वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
खोडीये बैठु तो दुनिया देखे ओ बनसा..
दुनिया देखे तो पर्दा ळगावु ओ बनडी..
चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
पर्दा ळगाडो तो गर्मी ळागे ओ बनसा..
गर्मी ळागे तो पंखो ळगावु ओ बनडी..
चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
पंखो ळगाडो तो पर्दा उडे ओ बनसा..
पर्दा उडे तो एसी ळगावु ओ बनडी,
चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे..
एसी ळगाडो तो म्हाने ठंडी घणी ळागे ओ बनसा..
थाने ठंडी ळागे तो म्हारा हिवङा सु ळगावु ओ बनडी..
चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे....!❤️
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सावण काळा बादळ ल्यायो रे, तीज रो तैवार आयो रे
लाडी आई भड़ाव कर रे, म्हारे हिवड़े लाय लगाई रे
हिंडे झूलळ तू लागी रे, थारो लहरियो मन्ने भायो रे
तीज रो तैवार आयो रे, थारू मिलळ री आस जगाई रे-
#Rajasthan
अब 3 घंटे में निपटानी होगी शादी,
लेकिन हमारे यहाँ तो पण्डित फेरों में भी
3 घंटे लगा देते हैं😃😃-
तू जद आवे पनघट
ओढ लज्जा रो घूंघट
म्हारी निजर हुवे नटखट
थारी बाता लागे चटपट
बढे हिवड़े री धड़कन
देखू जद झीणे घूंघट-
बाजै है चंग कोई डूळे है रंग
रंग थारो
म्हारो कद हूसी
तीज्या री तिसी कै ई फागण में भी
रैह ज्यासी बिसी री बिसी
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