उच्छ्रंखल मन ठ़ह्रराव तुम संग रञ्ञौ ओ संतोष़ाँ प़िव ल़गाव मेरो सज़णो प्रेम आलाप कर तन मौज़्यां ओ़ हेत् आप मैळाव मुझ त़ण रो अर्द्धांगणी मोकळौ अणुतो तुम ईज़ मेरो प़र्म धर्म हो
प्रण - प्राण रो करणो है रण रो बिगुल बजाणो है डंकै री चोट सूं लड़णो है असवार घोड्यांँ चढ़णो है जीत रे मारग डग भर्णो है ध्वजा ने ऊंँचो फ़हराणो है पूर्ण विजय वरण करणो है अब सोचणो कोनी करणो है