ओ मारा डाकिया बाबू राखी मारी बेगी पुगाज़ो सा
ब़ीरो म्हारो बाँधी राखी, पिवरियो उढ़िकै बाट़ जो़वे राखी सा
लिफ़ाफ़े कागद मेलूँ राखियांँ कुंँकुं मोळी, अंवेर हावळ लेज़ाजो सा
बाँच़ हुणाज़ो कागद म्हारो संदेशो
राजी़ खु़शी ने मा़रि मावड़ली उढ़िकती
हाथां बँधेली इयाँ मारी काळजे़ री प्रीत सा
ठावै पुगाज़्यो म्हारी राखियांँ रो लिफा़फो़ सा
म्हारे नेन्क्यै भतीज़ रे भेज़ूं रमत्याँ री राखी सा
रुंणक-झुँणक बिल्लिया पैरी़ राखी मारे भाभीसा
केवट थे बेगी पुगाही, देवूंला थाने मोकळी बधाई सा
-
🙏 जय रुणेचा दरबार 🙏
🙏 जय नागाणा राय 🙏
राक्ख़ी जसवंती लाज़ बिठायो अजीत तख़्तो ताज
रळ्थळै तलवार कमधज रणबंका राठौड़ दुर्गादास
स्वाधीन स्वाभिमानी सनातन धर्म री अमिट आस...
वीरांँ में वीर ज़ण मायड़ पूत जेड़ा करणोत दुर्गादास-
उच्छ्रंखल मन ठ़ह्रराव तुम संग रञ्ञौ
ओ संतोष़ाँ प़िव ल़गाव मेरो सज़णो
प्रेम आलाप कर तन मौज़्यां ओ़
हेत् आप मैळाव मुझ त़ण रो
अर्द्धांगणी मोकळौ अणुतो
तुम ईज़ मेरो प़र्म धर्म हो-
१) दर्पण री रित, हाँची बात बतावो
वे जेढ़ी के़दो, मत खुदरी लगावो
२) लू चिळ्कै सूरज री है ऊनी आक़री
चाँद दर्पण वे करदे ठँडी पूनम् चाँन्दणी
३) बात है एड़ी दर्पण री, बतल़ाही खरी खरी
डिगै निं हाँच धर्म हूँ भल़ै टूट बिख़र ज्या़ही-
कुँ कुँ कन्या हैवे सुहासणी
धर-मन देवी, शक्ती वासणी
नैह्ना पगळया मांँण्डो रूपणी
बाईसा बारंबार नौड्ते पधारोनी
-
थें थ्हाणे... मैं म्हाणे
अब कोई कुण ने जाणे़
रे़गी बाकी यादां में क़ोरी
प्रेम-पाती वे बाताँ थांणी
हिवडे ओळू, आंँख्यां पाणी
यादां ऐ थाणी अमर हेलाणी-
नगाड़ो गर्ज्यो राज
बिगुल बज्यो आज
मुनादी सगळे आवाज़
डंके री चोट स्यु होयगी
सुमंगल काज़ री सुरुआत-
प्रण - प्राण रो करणो है
रण रो बिगुल बजाणो है
डंकै री चोट सूं लड़णो है
असवार घोड्यांँ चढ़णो है
जीत रे मारग डग भर्णो है
ध्वजा ने ऊंँचो फ़हराणो है
पूर्ण विजय वरण करणो है
अब सोचणो कोनी करणो है-
भुज-बळ रो विश्वास है
उजळो ज्ञान रो ऊज़ास है
छाती में ज़द ताईं साँस है
ठालो बैठ्यो क्यूँ उदास है
या अंत कोणी सरुवात है-