"जो भगवान को मंजूर होता है वही होता है ,
मनुष्य के चाह से कुछ नहीं होता है! "
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बचपन मे जिसके साथ खिलौने से
खेला वो बचपन मे खुश रखने वाला दोस्त
क्या पता था इस दुनिया से चला जाऐगा ..-
Humne toh uske Ruqshat ki
Rushwaayi ko v khusi se
Manjur kr liya ;
Bs
†hode pagal h hum ,
Jo aaj v hr duaa me
Uska zikr kiya krte h !-
ना इबादत है मशहूर होने की
बस खुद को मंजूर हो जाऊं||
तलाश है उस बहाने की
बस जीने के लिए मजबूर हो जाऊं||
अब क्या बताएं अपने टूटे मन की
बस खुद को समेटने में मगरूर हो जाऊं||
निकल जाए मेरे अंदर से गर दुनिया ऐसे कि
बस खुद में ही मैं भरपूर हो जाऊं||-
सोचा तो था कभी दूर ना होगी
तू मुझसे
लॉकडाउन खत्म होन के बाद
मुलाकाते होगी तुझसे सब अधूरा
सपने सा रह गया सोचा था हमारी मुलाकात होगी येशी
पूरी कायनात
याद रखेगी जैसे सीप और मोती जैसी
पर ये खुदा को मंजूर ना था उनकी शहजादी किसी और की जाने
जिन्दगी ना बन जाए ये उन्हें मंजूर ना था-
आज कल तेरी खुशी में खुश हूं मैं
तू हो दुखी तो में भी रो लेता हूं।
चाहे दे कसम कितनी भी मुझे ना रोने की
फिर भी इन आखो में आँसू भर लेता हूं मैं।-
ना तुझसे दूर जाना मंजूर था, ना तेरी बाहों में रहना कबुल था, ये दिल भी अब समझ चुका था, मैं तेरी भुल थी, तु मेरी भुल था!!
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