रग़बत की पश्मिना ओढ़ कर हम,
मलंग है आपके आगोश में, जनाब ।-
Wo tere dubne ki laali...
Wo tere mohabbat ki yeari...
Bilkul ek jese hai...-
कम नहीं है ये लुत्फ़ भी सफ़र का,
फकत राह के पत्थर हैं मंज़िलें तो।-
कम खुद पर
ये इश्क
का असर
करना है
ऐ दिल
सभंल
जा अभी
तो बहुत
सफर
करना है
-
मैं मनमौजी फकीर दिल मेरा,
कुछ अलग सा ही एक ढ़ंग हूँ,
दो लफ्जो में बयां ना हो पाए,
महसूस होने वाला तरंग हूँ ,
जो परवाह तुझे होने लगी,
तो मैं मस्त मलंग हूँ ,
आसमाँ छूकर भी तेरे छत पर,
गिरता रहूँ ऐसा पतंग हूँ ।-
I had totally forgotten,
How much light is there in this world
Until you gave it back to me!-
Ye Gehre Jo Veerane Hai.. Ikk Din Bohat Shor Machayenge..
Jis Din Hum Ghar Se Niklenge.. Bohatt Door Tak Jayenge !-
सरलता में अगर अलभ्य पर्याय हो सकती हूँ मैं
ज़िद में क्रुद्ध मौन अप्राप्य भी हो सकती हूँ मैं-
अमां, फ़िकर किसी बात की क्यूँ करे हम मियां
जिंदगी कौन सी अपने आधार पर जी रहे है !-
अपने ही 'आम' से खास 'किरदार' में खोया हुआ मदमस्त 'मलंग' सा रहता हूँ 'मैं'.....
नही जरूरत है किसी के 'झूठे' साथ की क्योंकि अपने सच्चे 'तन्हाई' के 'रंग' में ख़ुदको रँगता हूँ 'मैं'.....-