TUM KAHO YA NA KAHO
MAGAR PHIR BHI...
TUMAHRE HAR SAFAR
ME SATH HU MAI...-
''yrrr' aaj bahot 'dil' kar raha hai aik kisse sunane ko...
Magar baat ye hai ki 'aakhir' sunao toh sunao ki'se......!-
Aasani se milati nhi dil ki sobat,,
Lut jaate hai log isko paane me...
Mudato baad izhaar kiya Magar,,
Der ho gai thi Usko ye batane me...-
चोट लगी है दिल में,
मगर बताते नहीं हो...
फिक्र तो बहुत करते हो हमारी,
मगर कभी जताते नहीं हो...!!-
“___किंतु ,लेकिन ,पर, मगर___"
ये शब्द देखने में तो काफ़ी साधारण और छोटे-से लगते हैं।
“लेकिन"
ये शब्द जब भी कहीं आते हैं
तो अपने साथ अनेक संभावनाएं ही लेकर आते हैं ..
और तो और इनमें इतनी क्षमता है
कि ये किसी भी सकारात्मक वाक्य के बाद आकर
उसमें नकारात्मकता का बोध करा सकते हैं ।।-
अगर मगर और कसमे हु
में एक आस में हु
तू मिल जाये मुजे इसकदर की
तेरे बाद कोई कास ना रहे-
Yun to kah diya
Chale jao meri zindagi se
Magar ek muddat maine
Tera intezaar kiya hai-
हमें गाँवों की खूबसूरती ही पसन्द है साहेब
चाहे कहीं भी चली जाए मगर ढ़लती नहीं-