शबनम नहीं अच्छी लगती धूप के बिना
बेलुफ्त ज़िंदगी है महबूब के बिना-
अपने और पराए का फर्क करके देख लेता !
इंसा मरके देख सकता तो मर के देख लेता !!
-
लोग आते जाते रहे मेहमान की तरह
वो था और है जिस्म में जान की तरह-
इश्क था , मोहब्बत थी ,और प्यार बहुत था !
जब तक नहीं हुआ वो , समझदार बहुत था !!-
बाबू सोना जानू कहना चाहता हूं !
तेरे साथ सुखदुख सहना चाहता हूं !
अलग रहना तो मजबूरी है हमारी ,
मैं तो तेरे साथ सदा रहना चाहता हूं !!
-
जिंदगी उसके ही बग़ैर जीना है मुझे
जिसके बग़ैर जीना मुझे आता नहीं-
बड़ा ही बेईमान है मेरे दिल में रहने वाला !
बरसों से रहता है मगर भाड़ा नहीं दिया !!-
देर से आया
वो रूठा है तो मना लूं मैं ,उसे फिर से अपना बना लूँ मैं
ये खयाल दिल मे आया , मगर देर से आया
खिलाफ सारा ज़माना है , करना है वही जो ठाना है
ये तूफ़ान दिल में आया , मग़र देर स आया
दर्द के बदले दर्द मिला ,तब मैंने खुशियाँ बांटी
ये आराम दिल में आया , मगर देर से आया
मरने के वक़्त सोचा , कि अबतक मैं क्यूँ जिया
ये सवाल दिल में आया , मगर देर से आया-
कोई मुसीबत में याद करे तो मदद किया करो,
मुसीबत में तो लोग भगवान को याद करते हैं-
यूं तो किसी से मेरी , कोई दुश्मनी नहीं मगर
तुझे अच्छा लगे कोई , तो मुझे अच्छा नहीं लगता
-