मां के हाथ के खाने में लज्जत बहुत हैं
पिता की दुआ साथ हैं,ये दौलत बहुत हैं ।
जमीं को आदेश मानना ही पड़ता हैं
लगता हैं आसमां की दहशत बहुत हैं ।
एक एक शेर जोड़कर गज़ल बनाओगे
जनाब इस काम में मेहनत बहुत हैं ।
जरा होश में चलना इन रस्तों से
इस शहर की हवाओं में शोहरत बहुत हैं ।
महफ़िल में हम उनके नाम से जाने जाएं
इस नाचीज़ के लिए इतनी भी अजमत बहुत हैं ।
मैं तो उसकी यादों में खोया रहूंगा
आशिकों के लिए ये जन्नत बहुत हैं ।
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जिस मां के हाथ की रोटी की
कभी कद्र नही की
आज हॉस्टल मे जब खुद के हाथों से
खाना बनाना पड़ता है तब वही मां के हाथ की रोटी बहुत याद आती है.....-
Baarish ka asli maza tab tak nahi aata,
jab tak haath mey adarak valli chai,
aur ankho ke samney maa ke haath ke baney pakode na ho.-
Barish ka mousam tha,
maa k haat ke pokode or
bagal me chai ka cup tha .😋
soche khushnasib hen ham
jo saam asi payi ,
Phir kambaqt alarm baja to
hostel ki bai Nazar ayi .😑-
मां के हाथो का खाना
मां,
लोगो की बातें मेरे पीठ पीछे कभी सिमटती नही
दुनिया की सबसे महंगी होटल में भी भूल मिटती नही
अपने हाथो का खाना भी कभी खिला देना मां,
1 बार खा लिया तो घंटो तक भूख लिपटती नही
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गोल रोटी पर चाँद जैसा निखार है,
माँ के हाथ से ना बनी हो तो भूख भी बेकार है.-
माँ 😘
कैसा तिलिस्म तेरे हाथों में;दिल मेरा कभी ना भरता हैं,
खाती रहती उस वक्त भी मैं;ज़ब मन मेरा ना करता हैं !-
1.5 million restaurants
in the world but
MAA k haath ka khana
is the BEST ❤-
तेरे हाथ का,
सादा दाल-भात भी
तृप्त कर जाता था मन को
पर अब ,
इन छप्पन भोगों से भी
मोह होता नहीं हमको-