Simran Shivhare   (Simshi)
13 Followers · 2 Following

Joined 26 July 2019


Joined 26 July 2019
4 NOV 2020 AT 23:07

फर्क होता है,
स्त्री-स्त्री में भी

हर स्त्री माँ होती है
पर सब,
माँ सी नहीं होती

-


13 MAY 2020 AT 21:06

कांटो को छुए बिना,
पंखुड़ियों को गुलाब की
तुम....
बखूबी समझोगे क्या ??

राहों में गिरे बिना,
मंजिल पाने की खुशी
तुम....
बखूबी समझोगे क्या???

-


12 MAY 2020 AT 19:31

जिंदगी का स्वाद
मैं कुछ यूं चखती हूँ....

नीम-करेले सी बातें पीकर
इरादों को मजबूत करती हूँ....

-


11 MAY 2020 AT 14:12

दौड़ो तुम,
अपने पिज़्ज़ा बर्गर पर।
मुझे... मेरे
दाल-भात पर ही ठहरने दो।

उड़ो ऊंचा तुम,
गगन में दूर सबसे।
मुझे जमीं में,
अपनों के साथ ही खिलने दो।

-


10 MAY 2020 AT 15:52

Mera
sukoon
hai

-


10 MAY 2020 AT 14:13

सुकून की तलाश में
जो शहर-शहर भटकते हो न तुम

कुछ देर ठहरकर
मां का पता फिर से याद कर लेना

-


9 MAY 2020 AT 17:01

तेरे हाथ का,
सादा दाल-भात भी
तृप्त कर जाता था मन को

पर अब ,
इन छप्पन भोगों से भी
मोह होता नहीं हमको

-


27 APR 2020 AT 20:59

हसरतें हजार अब रही नहीं
बस एक ख्वाहिश बाकी है
रखकर सर अपना, तेरे कांधे में
हौले से मुस्कुराना "मेरा" काफी है

-


25 APR 2020 AT 6:43




इंसा को कैद
पंछी को आजाद देखा है

सालों बाद मैंने आज
आसमां को आबाद देखा है

-


5 APR 2020 AT 14:48

दहन कर रावण को
तुम हर साल जश्न मनाते हो
पर मंथरा के ऊपर
क्यूँ आज भी मौन धर जाते हो??

-


Fetching Simran Shivhare Quotes