" ऐ दोस्त "
ऐ दोस्त,तू ही जिंदगी है,तू ही
रब है और तू ही आस्था है,
तेरे बिन न कोई मेरा,न मैं किसी
का और न कोई रास्ता है।
तुझसे रूठकर भी न जानें क्यों
आज तक न रूठ पाया हूँ,
तुझसे रूठता हूँ तो रब रूठता है,
जानें ये भी कैसा वास्ता है।
गले लगाता हूँ तुझे तो,जानें क्यों
मेरा रब लग जाता है,
तुझे देखता हूँ तो,अक्सर तुझमें
मेरा रब मुस्कराता है।
-