लिखावटों के पीछे मेरी तेरी अदाओं का हाथ है जो मेरे ज़हन में उतरती रहती है तेरी मुस्कुराहटों के बुलबुलों की तरह। हर पल तेरा साया मेरी निगाहों से उतरता नहीं तुझे मालूम तो होगा ही माही! कि तू एक रूह सी समायी है मेरे जिस्म में मेरी रूह की तरह। लिखता हूँ जो तुझे लगता है कोई पढ़ता है मुझे तूने चित्रपट पे मेरे दिल के वो अदा दिखाई है इंद्रधनुष के रंगों की तरह। मैं न बोलता था तुझे कि लोग तेरे नाम से याद करेंगे मुझे अगर हम एक हो जाएं कभी जैसे चाँद और चकोर की तरह।