नैना पाठक   (नैना पाठक)
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Joined 26 November 2017


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शिव का वो तांडव सा,
माँ भवानी का लाडला था,
दहाड़ उसकी शेर सी,
इसलिए वो छावा था।

मराठा का वो राजा,
औरंग का वो डर था,
बुरहानपुर पर भगवा,
उसी ने तो लहराया था।

शिवाजी का वो सपना सा,
स्वराज उसका लक्ष्य था,
सिसोदिया, राजपूत, मराठा,
सबको एक साथ वो लाया था।

आगरा से लेकर दक्कन तक,
नाम जिसका गूंजा था,
वो महाकाल का रौद्र रूप,
शिवाजी शंभू राजे था।

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10 OCT 2024 AT 13:19

नवरात्रि के व्रत से सिर्फ भूल चूक से हुई गलतियाँ माफ होती हैं,
जान बुझ कर किये हुए पाप नहीं

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20 SEP 2023 AT 11:36

खुद को निहारो तो जरा
ये जो बे फिजूली लम्हे तुमने दूसरो पर लुटाए
एक बार खुद पर लम्हा भर खर्च करो तो ज़रा

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20 SEP 2023 AT 11:32

तुम्हे तो पंख फैला कर
इस आसमान की ऊंचाईयों को नापना

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17 SEP 2023 AT 12:16

फिर दिल को समझाए
ख्वाइशों के बोझ तले
ये जिंदगी कट जाएं

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17 SEP 2023 AT 11:45

चांदनी के कंगन में
चांद बैठा हैं बादलों की छाव में

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11 SEP 2023 AT 11:20

अपनी अपनी कश्ती है
नदिया में डूब कर पार लगानी सभी को हैं

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11 SEP 2023 AT 10:53

वही समय को बदलते है

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11 SEP 2023 AT 10:45

चक्रवियू का पहिया घूमता हैं
कर्मकांड तुम्हारे साथ ही पलता हैं
जो न करे बहु का सम्मान
कुरुक्षेत्र में लिखा हैं उसका अंजाम

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11 SEP 2023 AT 10:21

जिसने गलत किया है तुम्हारे साथ
उसके साथ भी गलत होगा

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