शिव का वो तांडव सा,
माँ भवानी का लाडला था,
दहाड़ उसकी शेर सी,
इसलिए वो छावा था।
मराठा का वो राजा,
औरंग का वो डर था,
बुरहानपुर पर भगवा,
उसी ने तो लहराया था।
शिवाजी का वो सपना सा,
स्वराज उसका लक्ष्य था,
सिसोदिया, राजपूत, मराठा,
सबको एक साथ वो लाया था।
आगरा से लेकर दक्कन तक,
नाम जिसका गूंजा था,
वो महाकाल का रौद्र रूप,
शिवाजी शंभू राजे था।-
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