सुना है तुझे मेरे नाम से पुकारते हैं ज़माने वाले
जाने कैसे-कैसे पैंतरे निकालते है नाम कमाने वाले।
अनमोल इश्क़ को बेदाग़ रखने की सजा पाई है मैंने
जाने किस बात की दुश्मनी निकालते हैं ये पैमाने वाले।-
http://www.facebook.com/theMaahiCreations
या फिर द... read more
तेरे ग़म के सामने
मुझे मेरा ग़म याद आया
बाढ़ में डूबे तुम थे
पर मुझे अपनी कश्ती में पानी कम याद आया।-
मेरे महबूब को पढ़ कर मैं दीवाना हो गया
क्या लिखी मुहब्बत क्या फ़साना हो गया।-
बरसों बाद आज रीमा मिली, मेरी बचपन की सहेली, जो स्कूल से कॉलेज के हर पल में मेरे साथ रही। हम दोनों ने एक दूजे को देख के बहुत खुश हुए, कई घंटे जुहू बीच पर डूबते सूरज को देख बीती बातों के समंदर में खोए रहे। कब रात के आठ बजे पता ही न चला। बातों - बातों में उसने मुझसे तुम्हारा नाम पूछ लिया, कहने लगी क्या हुआ था जो हम तुम दोनों अलग हो गए। मैं खामोश रही, कुछ कह न सकी। अब सोचती हूँ कि जब साथ थे तब भी दूर थे, आज दूर हैं तो कहाँ मजबूर हैं? आखिर हमारे बीच रिश्ता ही क्या था..?
-
नहीं मिलता साथ तेरा
मेरी शेर-ओ-शायरी में..।
तेरा नाम नहीं तो क्या
तुझसे मुहब्बत नहीं है क्या..?-
बाग़-ए-अदन की सैर की
ख़्वाहिश अब रखे कौन
तुझे पा लिया,
फ़िरदौस ज़मीं पर उतर आया हो जैसे..।-
ये रात, ये मौसम, ये मस्त समा
सभी हैं यहां, पर तू है कहाँ..
हाँ! तेरी जरूरत मुझे हर बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की..।-