Mahesh Maahi   (महेश "माही"...✍️)
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Joined 16 May 2017


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Joined 16 May 2017
23 HOURS AGO

सुना है तुझे मेरे नाम से पुकारते हैं ज़माने वाले
जाने कैसे-कैसे पैंतरे निकालते है नाम कमाने वाले।
अनमोल इश्क़ को बेदाग़ रखने की सजा पाई है मैंने
जाने किस बात की दुश्मनी निकालते हैं ये पैमाने वाले।

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29 SEP AT 23:44

क़ासिद मेरा जाने कहाँ खो गया है
एक सदी बीत गई माही! तुझे पढ़े हुए..।

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22 SEP AT 22:40

बीती रात एक याद
रात भर सताती रही।
चश्म-ए-नम
रात भर मुस्काती रही..।

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22 SEP AT 22:17

तेरे ग़म के सामने
मुझे मेरा ग़म याद आया
बाढ़ में डूबे तुम थे
पर मुझे अपनी कश्ती में पानी कम याद आया।

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22 SEP AT 21:51

नादिर
तेरी हर अदा है
नादिर ये दिल
सिर्फ़ तुझ पे फ़िदा है।

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16 SEP AT 23:33

मेरे महबूब को पढ़ कर मैं दीवाना हो गया
क्या लिखी मुहब्बत क्या फ़साना हो गया।

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12 SEP AT 22:48

बरसों बाद आज रीमा मिली, मेरी बचपन की सहेली, जो स्कूल से कॉलेज के हर पल में मेरे साथ रही। हम दोनों ने एक दूजे को देख के बहुत खुश हुए, कई घंटे जुहू बीच पर डूबते सूरज को देख बीती बातों के समंदर में खोए रहे। कब रात के आठ बजे पता ही न चला। बातों - बातों में उसने मुझसे तुम्हारा नाम पूछ लिया, कहने लगी क्या हुआ था जो हम तुम दोनों अलग हो गए। मैं खामोश रही, कुछ कह न सकी। अब सोचती हूँ कि जब साथ थे तब भी दूर थे, आज दूर हैं तो कहाँ मजबूर हैं? आखिर हमारे बीच रिश्ता ही क्या था..?

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11 SEP AT 23:22

नहीं मिलता साथ तेरा
मेरी शेर-ओ-शायरी में..।
तेरा नाम नहीं तो क्या
तुझसे मुहब्बत नहीं है क्या..?

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11 SEP AT 21:48

बाग़-ए-अदन की सैर की
ख़्वाहिश अब रखे कौन
तुझे पा लिया,
फ़िरदौस ज़मीं पर उतर आया हो जैसे..।

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7 SEP AT 23:03

ये रात, ये मौसम, ये मस्त समा
सभी हैं यहां, पर तू है कहाँ..
हाँ! तेरी जरूरत मुझे हर बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की..।

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