मेरी लेखनी का अंत,
तुम्हारे हाथ,
में ही है ठाकुर साहब !
मैंने जीवनपर्यन्त,
प्रेम तुम्हारे,
नाम का लिखा है !
तुम्हें मेरी मृत्यु को,
मेरी जीवनी में,
श्रृंगारित फूलों सा करना है !!-
मैंने कहा दिल,
तो कहता है,
हज़ारों बिकते है टके के भाव में !
💔
मैंने कहा वादे,
तो कहता है,
हर रोज़ टूट बिखरते है !
💔
मैंने कहा जज्बात,
तो कहता है तुम्हारी जैसी,
कवयित्री कहाँ महफ़िलो में टिकती है !!-
I feel that my problem is
not bigger than my life
which can force me
to break, then
I smile more slightly-
ये प्रेम की चाशनी में डूबी हुई लेखनी
अक्सर विराम चिन्हों को भूल जाती है
इस वजह से हमारे ना चाहते हुए भी
कुछ कविताएं उपन्यास बन जाती है-
जिंदगी के पड़ाव में लेखनी नए नए राग गाती रहेंगी
मगर मेरे प्रेम का ऋण तेरी कविताएं चुकाती रहेंगी-
लेखनी का जुनून तो नहीं, ऐ दोस्त,
बस जो महसूस करते हैं,
शब्दों में उकेर लेते हैं।-
ये भी इक खूब वजह होगी,
तुझे ना लिखने की...
गर तू मेरा न रहा,
तो मुझे अपनी ही लिखी हुई नज़्म से नफरत न हो जाए!!!-
इश्क़ करने का तरीका कुछ नया था उसका
की आंखो से वो मेरी तारीफ किया करता था।-
महज तुकबंदी मिलाने को नहीं कहा करते कविता, दोस्तों
एहसास बिखेरो कभी पन्नों पर, तो शब्द बोलते सुनाई देंगे!!!-