माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व है।
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास सयंम है।।
दोनों समय का भोजन माँ बनाती है।
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाला पिता है।।
कभी चोट लगे तो मुँह से "माँ" निकलता है।
रास्ता पार करते वक्त कोई पास आकर ब्रैक लगाये।
तो "बाप रे" ही निकलता है।।
क्योंकि छोटे-छोटे संकट के लिए माँ याद आती है।
मगर बड़े संकट के वक्त पिता याद आते हैं।।
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छाव में।
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता हैं।।
Love you Papa
Happy Father's Day
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ख़ुशनसीब करके मुझे खुदमे माहींन कर दिया है
ख़ुश्बू ऐसी है तुम्हारी जैसे अफ़ीम कर दिया है
अब मर्ज़ी तुम्हारी है मुझे कौन सा रंग लगाओगे
तुमने तो पहले ही मुझे रँगीन कर दिया है।-
Be selfish enough to have Self Love , Self Worth and Self Respect !
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मुझें बारिश में भिगना
अच्छा लगता हैं...
क्युकी मुझें कोई रोता
हुआ देख ना सके ।-
मिथ्य के उदर में, अज्ञान के तिमिर में
मोह किया नश्वर से, दूर रहा ईश्वर से
अंतिम क्षण सत्य का प्रकाश निकला
ये 'मोह' भी 'मोहन' का दास निकला-
कत्ल-ऐ-आम हुआ हमारा उस महफिल में,
और किसी को कनोकान खबर ना हुई।
चहरे की मुस्कुराहट भले ही ना गई हो,
पर दिल का चैन तो चला ही गया था।-
Muskura kar chehere pe rang uske naam ka lagwaya
Woh pagal gulabi rangon ki barsaat v karwaya
Laal rangon main mere mang ko sajaya
Aur phir baho main bhar ke seene se lagaya
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