इस दिखावे की दुनियाँ मैं , अपने ही ग़द्दार हैं ॥
कालका माँ बस तेरा सहारा ,बाक़ी सब बेकार है ॥
हर बिगड़े का बनता है काम जहाँ पर , वो बस तेरा ही दरबार है ॥-
6 DEC 2019 AT 18:18
12 NOV 2021 AT 23:55
मेहक़ती फ़िज़ाओं से महरूम हूँ,
यहाँ हवाओं में ज़हर है,
जनाब मैं दिल्ली से हूँ। --
25 JAN 2022 AT 12:27
हर दिन एक नई शुरुआत होती है।
मां के साथ में कोई ना कोई बात होती है।
हर कोई नहीं आता माँ तेरे दर पे
वही आता है,
जिसेके जन्नत नसीब होती है।-