Mahfuz Idrisi  
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अभी तो लिखना शुरु ही किया है।
Joined 28 November 2017


अभी तो लिखना शुरु ही किया है।
Joined 28 November 2017
17 OCT 2022 AT 18:55

गांव जा कर आसमां देखना है,
शहर का आसमा..
टुकड़ो में बट गया ।

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19 AUG 2022 AT 19:43

मनमोहक जिनकी वाणी है
बांसुरी जिनकी सुहानी है,
गोकुल में कहते काहना जिनको
हम तो क्या...
पुरी दुनिया उनकी दीवानी है।

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19 APR 2022 AT 12:40

नाराज़ होने का,
हमने तो बस
मनाना सिखा है।

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19 APR 2022 AT 12:36

नाराज़ होने का,
मुझे तो बस
मनाना आता है

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29 JAN 2022 AT 22:48

सुनो,
अबकी बार जब मिलने आना,
ना कुछ देखना ,
ना कुछ कहना,
आते ही बस गले से लगा लेना।— % &

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24 JAN 2022 AT 16:33

जो हर किसी को,
नही मिलता है,
बेटी के बिना किसी भी
बगिया मे एक फूल भी,
कहाँ खिलता है ।

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18 JAN 2022 AT 0:26

तुझे कैसे बताऊ
की कितना प्यार करता हुँ,
कैसे दिलाऊ यकीन
की कितना इंतेज़ार करता हुँ,
तुझे तो वक़्त नही है मिलने का
यकीन मान तेरे इतज़ार में,
आज कल..
तेरी तस्वीरों से बात करता हुँ।

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15 JAN 2022 AT 21:00

तेरे इंतेज़ार में
शामों को कुछ इस तरह बिताया है
सुना है,
शहर आ रहे हो मेरे,
इसलिए मैंने शहर की गलियों को
पलकों से सजाया है।

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11 JAN 2022 AT 19:50

अभी तो जी भर के देखा भी नही उनको,
और वक़्त उनके जाने का हो गया।

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7 JAN 2022 AT 18:44

कुछ तो खास है तेरी निगाहों में,
की तेरी निगाहों से निगाहेँ नही हटती।

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