सखी री
सावन मास आयो
पीया मोरे परदेस
किस बदरा से कहूँ
मन की बतियाँ
कौन ले जावे संदेस
चुनरी का रंग फीका परयो
कंगन चूरी बाजे ना
ना काजर भावे नैन
बिजरी तन मन उतरत जावे
झूरे जैसा मन डोरत है
कटत नही दिन रैन
सूझ बूझ का सौदा है ये
सावन मोरा लाखों का
बिंदिया का सौ मोल
कारोबारी पिया जी देखो
खाते में जो चड़वा दो तो
घाटा बड़ा फिर होत
आजा पीया जी देस को अपने
इस सावन का ना जोड़
ये सावन है अनमोल ।-
जब सावन में कजरी गीत सुनता हूँ...🎵🎶🎼
जब सावन में तेरे हाथों की मेहंदी देखता हूँ..🙋
तो दिल में आता है मैं भी तेरे लिए सावन का बादल बन जाऊँ...🌨️ और तुझे अपने इश्क़❤️ में जीभर के भींगाऊँ.💞-
~~<बस दिल की यही तम्मन्ना है>~~
तू मेरा साजन हो ।
मैं तेरी सजनी बन जाऊं।।
तू मेरा सावन हो।
मैं तेरी कजरी बन जाऊं।।
Vibha pandit-
कइसे खेले जाइबि सावन में कजरिया
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।
तू त चललू अकेली, केहू सँगे ना सहेली;
गुंडा घेरि लीहें तोहरी डगरिया ।।
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।
केतने जना खइहें गोली, केतने जइहें फँसिया डोरी;
केतने जना पीसिहें जेहल में चकरिया ।।
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।-
तू ही बतावा ऐ भौजी
अब कईसे हम कज़रिया खेलें जाएँ
जो कारी घटाएँ बदरियाँ गइल छायें
बीच डगरिया में न कहीं हम फस जाएँ
सखियों संग कईसे हम कज़रिया गावे जाएँ
कईसे सावन में अब हम आपन्न जियरा के बहलायें
बिज़ूरिया भी थमके और हमरा पल पल है डरायें
तु ही बतावा ऐ भौजी
केकरा के हम आपन्न दिल के हाल सुनायें
धीरे धीरे अब इहो सावन बीत गयिल हाएँ
साजन भी कह कर गये पर
अब तक न हमका लेवे को आयें
अँखियों से हमरी कज़रिया भी अब बहती जाएँ
तू ही बतावा ऐ भौजी
अब कईसे इ सावन के महिनवा
हम बिन खेले कज़रिया और बिरहा में साजन के मनायें
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