Sudheer Dranch   (Sudheer Dranch)
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लिखना मेरी आदत है! कुछ लिखा हूँ, बहुत कुछ बाकी है!
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Joined 31 December 2018


लिखना मेरी आदत है! कुछ लिखा हूँ, बहुत कुछ बाकी है!
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Joined 31 December 2018
28 DEC 2024 AT 0:01

याद आता है
अपना प्यारा सा गांव,
झोपड़ी, बगीचे और खेत खलिहान
आम, महुआ और पीपल की छाँव।
आज
जब थक जाता है
मेरे अन्दर का मजदूर
तब ऊर्जा संचार का स्रोत
बन जाता है मेरा गाँव।
उसकी सुबह की लालिमा,
जो असीम है, अनंत है
जो तुझमें है, वो मुझमें है
उतर जाता है धरा पर, हर सुबह।
देते हुए जीवन के पाठ को
कि संघर्ष कर अंधेरों से,
जीत की राह पकड़,
निडर बन, तू दौड़ चल
बिना थके, बिना रुके
विश्वास रख
आत्म शक्ति पर
तेरा कर्म ही तो धर्म है
इतिहास है भूगोल है
यही अर्थ है यथार्थ है।
और यह सब सोचते हुए
उठ जाता हूँ मैं
एक नई चेतना के साथ
निरंतर आगे बढ़ने को।

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6 OCT 2024 AT 2:00

दिन में तारे और जीते जी जन्नत देखना 
किसी अजूबे से कम नही 
कुछ ऐसा ही हुआ था हमारे साथ 
हमारे ख़्वाब बिना योजना के 
हमारे पास आ गए थे 
अचानक शब्द आज अच्छा साबित हो रहा था
उन लम्हों ने मुझे थाम लिया था आपनी बाहों में 
मैं खोने लगा 
और कुछ देर बाद ही उसने मुझे समझाया कि 
मैं हूं अभी हूं आपके पास 
पर विश्वास नही
मैं अभी भी संदेह में था कि 
कही ये स्वपन तो नही 
मन मस्तिष्क में द्वंद चल रहा था कि बस निश्चय हों जाए 
कि ये क्या है

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23 SEP 2024 AT 2:29

खबर, आपके आने की 
एक और अदद मुलाकात की 
सुकुन पहुंचा देती है रोम रोम को।
आपका आना 
प्लान था आपके माफिक 
जिसमें हमारे मिलने की 
कोई आश्वाशन नही 
इसी उम्मीद में मैंने आपको रहने दिया 
ताकि दे सकूं आपको 
एक प्यारा सा सरप्राइस।
हमारी आंखें मिली 
बिल्कुल अचानक से।
उस वक्त आपके चेहरे पर इंद्रधनुष बन रहा था 
जिसमें प्यारा के साथ
गुस्सा और नाराजगी भी थी शायद।

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10 SEP 2024 AT 0:18

कि तुम आ जाओ!
तुम आ जाओ कि मुझे अब नीद नहीं
नीद में ख़्वाब नहीं।
ओ मेरे ख़्वाब
तुम जब भी आना,
उनको साथ ले आना।
भले ही चाहे नीद न आए।
मैं जाग सकता हूं इंतजार में तमाम रातें
कि तुम आओ
मैं काट सकता हूं ताउम्र जिंदगी
कि तुम आओ।।


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21 OCT 2022 AT 14:46

तुम्हें याद करके
आखों से आंसू टपकते हैं
क्या तुम
हमें भूलकर
नम होते हो.?

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9 OCT 2022 AT 10:23

जिसपे मंजिलें और भटकाव
दोनों हैं
ये गुरु हैं अपने आप में
सिखा देती हैं
वक्त, बेवक्त
हर किसी को।
इसने दौड़ना, रुकना, थकना
सब देखा है
इससे परे कुछ नही
तो अब सब इसी को समर्पण
फिर निकल पड़ा हूं
इसे नापने।

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9 OCT 2022 AT 1:01

उसको मेरी याद बिल्कुल भी नही आती।
फिर भी वो
न जाने क्यूं रुलाती है।
सब कुछ जान के अनजान बने हैं हम
समय के इंतज़ार में निशब्द होकर,
एक दूजे की आवाज़ बने हैं हम।

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9 OCT 2022 AT 0:52

मेहनत, कश्मकश, भागदौड़ सब है
पर कहां अब वो बात है!

न मेरी जिंदगी खुश है मुझसे
न ही अब मेरे जज़्बात हैं
अब वो ही कहां मेरे साथ है!

मन परेशान होके खुद से पूछ रहा
क्या कर लिया तूने, जो अब
बिन बूंदों संग बरसात है।

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1 AUG 2022 AT 23:58

जन्मदिन मुबारक हो, मेरे प्यार को!
तुम्हारा होना
अपने आप में एक मुकम्मल दुनिया है।
तुम्हारा होना
मुझे आगे बढ़ने और कार्यशील रहने की
प्रेरणा देता है।
तुमसे पहले
मेरी दुनिया में थी
बेपरवाही, नासमझी, गैर जिम्मेदारी
और भी बहुत कुछ।
सच कहूं तो अंजान था मैं
जीवन के इस पहलू से
मुझे सिखाने, समझने
और विश्वास करने के लिए शुक्रिया।
मुझे हमेशा अच्छा लगता है
तुम्हें सुनना!!
तुम्हारी मुस्कुराहट और आंखें
मुझे बेहद खूबसूरत लगती हैं
इनका ख्याल रखना
और ताउम्र मुझे अपने प्यार में रखना।
मैं तुम्हारा हुं
बस तुम्हारा।
हां "तुम हो तो मैं हूं।"

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18 JUL 2022 AT 21:36

रखकर, घर से निकलना पड़ता है
और निकलना इस चाहत से
कि वापसी में ले आऊंगा, अपने साथ बहुत कुछ।
और शाम को पगार मिलते ही
चौड़ा होता जाता सीना
पहुंच जाता हुं बाजार
जहां मिलती हैं, जरुरत के सामान।
उसी क्रम में
घर पहुंचने पर
खिल जाते हैं सबके चेहरे।
इन खुश चेहरे को देख
दिन भर की थकान
कही गुम सी हो जाती है
पर बिस्तर पर मन खुद से सवाल करता है कि
अगर किसी दिन मैं खाली हाथ आया तो...!

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