अतीत की कहानी, कुछ जानी, कुछ अनजानी।
सोचकर अतीत की बातें, बहता आँखों से पानी।
अतीत की कुछ हरकतें सोचकर ऐसा लगता हैं।
जैसे वो क़िस्से, वो कहानी है कितनी बचकानी।
अतीत में ऐसा हुआ था साथ में मेरे एक समय।
मैं था किसी का दीवाना, थी मेरी कोई दीवानी।
जब प्यार हुआ था तो सब कुछ बड़ा अच्छा था।
इतना अच्छा कि मैं था राजा, वो थी मेरी रानी।
कल तक जिसके लिए मैं उसका सब कुछ था।
आज अचानक से देखो वो हो गई मुझसे बेगानी।
इश्क़ करने में हर इंसान का कुछ न कुछ जाता हैं।
इस इश्क़ के पीछे क़ुर्बान हो गई मेरी ये जवानी।
मुद्दतों पहले एक इंसान से इश्क़ हुआ था और।
ताउम्र वहीं रहा, बाक़ी सब कुछ थी आनी-जानी।
है कुछ दिल की बातें जो आज भी दिल में दफ़्न है।
आज नहीं तो कल वो किस्से है आप सबको बतानी।
एक बस उसके होने से ही तो मुक्कमल था मैं "अभि"।
वो गई और फिर अधूरी रह गई मेरी ये रूहानी कहानी।-
"बची हुई रोटी" को अपनी थाली में देखकर सुरेश ने सोचा कि माँ से थोड़ी सी सब्जी माँग ली जाए और इसी उद्देश्य से उसने अपनी माँ को आवाज़ लगाई। कई बार आवाज़ लगाने के बाद जब माँ नहीं आई तो वो ख़ुद ही रोटी के साथ खाने के लिए सब्जी लेने के लिए रसोईघर चला गया और वहाँ जाकर देखा कि रोती के बर्तन में केवल आधी रोटी रखी हुई है और सब्जी भी बहुत ही ज़्यादा कम है।
उसने सोचा कि आधी रोटी से माँ का पेट कैसे भरेगा और क्या माँ हर रात आधा पेट खाकर ही सोती हैं? क्या मेरी माँ मेरे लिए हर रोज़ इतनी क़ुर्बानी देती हैं और मैं नालायक कुछ करता भी नहीं जिससे माँ का हाथ बँटा सकूँ। फिर खुद ही ख़ुद को ढाँढस बंधाते हुए कहता है कोई बात नहीं जब बड़ा हो जाऊँगा तब माँ की सेवा करूँगा और माँ के क़दमों पर लाकर सारी सुख सुविधाएँ रख दूँगा।
इतना सोचकर वो बरामदे में गया और अपनी थाली में "बची हुई रोटी" को लाकर रसोईघर में रख आया, तब तक माँ भी आ गई और माँ रोटी रखने की कोई वजह पूछती इससे पहले ही सुरेश ने कहा, "माँ मुझे भूख नहीं थी इसलिए "बची हुई रोटी" रख दी है, इसलिए अगर हो सके तो आप खा लेना।
माँ तो आखिर माँ ही ठहरी, "बोली बेटा तू चिंता मत कर, मैं सही से रख दूँगी, तू सवेरे खा लेना। सुरेश ने ज़ोर देते हुए कहा, "माँ मेरा मन नहीं है खाने का तुम ही खा लेना ना।" इतना कहकर सुरेश सोने के लिए चला गया और अचानक से उसकी बेटी चीखते हुए.....-
Jhukte hai jo log aapke liye kisi bhi had tak, Wo aapki izzat hi nahi aapse mohabbat bhi karte hai...!!!
Aur aisi mohabbat karne walo ko khud se door nhi karna chahiye-
मंजिल की तलाश में न जाने कितनी दूर आ गए,
मंजिल तो मिली नहीं ब-दस्तूर आ गए।-
एक चुटकी सिंदूर के लिए
एक पिता अपनी सारी पूंजी लगाता है...
एक बेटी आंखों में डेरों आंसू छुपाकर
उसका मान बचाती है...
छोड़ देती है अपने घर को
दूसरे के घर को अपना बताती है....
अपनी हर ख्वाहिश का गला दबाती है
आंखों में आंसू हो मगर लबों से मुस्कराती है....
एक चुटकी सिंदूर की क़ीमत
एक लड़की ताउम्र चुकाती है....
एक चुटकी सिंदूर की कीमत बहुत बड़ी है
वो आंकने में नहीं आती है...!!-
परिवर्तन से मत डरो
अगर आप
कुछ अच्छा खो सकते हो,
तो आप उससे
भी अच्छा हासिल कर
सकते हो....।-
हम तो कायल हैं आपकी मुहब्बत के
इस कदर ना तोड़ के तू काबिल ही ना रहे इस मुहब्बत के-
Bachpan Mai kahani
Sunn Kar sote the,
Aaj apni hi kahani par
Roo Kar sote hai.....
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खोने से पहले पाना पड़ता है;
दिल लगाने से पहले जताना पड़ता है;
समझने से पहले समझाना पड़ता है;
किसी का होने से पहले कमाना पड़ता है!-