ना रिश्तेदारों के लिए खड़े हुए,
ना दोस्तों के लिए खड़े हुए,
ए साल तूने
भलाई के पैर छिन लिये।-
ज़िन्दगी
फ़लसफ़ा
उतर कर सपनों में उसने कमबख्त सियासत शुरू कर दी,
दिमाग ने गवाही नहीं दी तो दिल ने बगावत शुरू कर दी।-
दिललगी तुमसे की और बात बिगड़ गई।
रात को क्यों जागा हूँ ये सोचने में फिर एक रात गुजर गयी।
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बादलों की बारिश गमगीन है या सुहानी ,
बरसाता आंसू है या पानी ,
तकलीफ में बंजर सी जमीन है वो,
फिर भी सुनाती है भीगने की कहानी ??
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तेरी मासूमीयत पे लिखना है मुझे।
तेरे संग हर पल दिखना है मुझे।
तू ही सादगी है,तू ही एहसास है,
तू ही जिंदगी है अब।
तू ही ख्वाब है, तू ही ख्वाहिश है,
तू ही मंजिल है अब।
तुझसे ही सब कुछ सीखना है मुझे।
तुझसे यही अब कहना है मुझे।
तेरे साथ ही अब रहना है मुझे।-
ना बिछड़ने का गम है ना आरजु है मिलने की।
एक खता याद करने की थी एक भूलने की।-
किताबों में नहीं है तो क्या याद नहीं करोगे ।
भगवान नहीं है तो क्या फरियाद नहीं करोगे।-
जो लफ्ज़ है मेरे वही अफसाने बनेंगे।
आज खिलाफ है जो वही कल दीवाने बनेंगे।।-