'LIFE ᴵˢ
ᴬ STORY
WITHᴼᵁᵀ
HOPE?'
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10 JUL 2018 AT 16:46
ये इश्क़ भी मेरा...एक कहानी बनकर रह गया...
ये जून भी तेरी...एक निशानी बनकर रह गया...
था वो जून आखिरी...जो तेरे साथ देखा था...
फिर तो सबकुछ...बस पानी बनकर रह गया...😭-
2 JUN 2020 AT 9:33
जब जून का महीना आता था, मन हर्षित हो जाता था...
पूरा साल गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार सबको रहता था,
हमने घूमने जाना है यह हर कोई कहता था।
अब तो पर्वतीय सौंदर्य पर दो तरह से मंडरा रहा है खतरा,
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ती आबादी के कारण प्रदूषण है बढ़ रहा।
जैसे पेड़ पौधों रहित बंजर धरती लगती है करूप,
वैसे वृक्षों रहित पहाड़ों का बिगड़ रहा है स्वरूप।
कोरोना के कारण न जाने अब कब घूमने जा पाएंगे, फिर प्रकृतिक दृश्यों का आनंद सब कब उठा पाएंगे।-