हमे देखकर जो ज़ुल्फ़ें तक नही सहेजते थे कभी
जाने क्या बात है अब वो सजने-सवंरने लगे-
अंधेरे में काफ़ी वक़्त बिताते हो आजकल
दिल में अंधेरा कोई दफनाए हुए हो क्या
यूँ अकेले ही मुस्कुराने लगते हो अचानक
सपने उसके आज भी सजाए हुए हो क्या-
शाम को हमे हाउस कैप्टन के द्वारा मैस ले जाया गया वहाँ का खाना देखकर मम्मी के हाथ के खाने की याद आ गयी लेकिन क्षसमय के साथ वो खाना 5 स्टार के खाने से भी मस्त लगने लगा उस जमाने में सात साल नवोदय का एक जैसा ही रूटीन रहा पहले तो हमें नवोदय बुरा लगता था वहाँ जाकर ऐसा लगा की साला किसी कैदी को सात साल के लिए जेल में भेज दिया गया हो|
सुबह सुबह पी.टी. सर की सीटी बजती और सभी को ग्राउंड पर ले जाया जाता उस सीटी को सुनकर साला ऐसा दिमाग खराब होता कि मन करता पी.टी. सर को ही गायब कर दिया जाये लेकिन ये सब बस में कहाँ था सभी बच्चे बिस्तर से उठ कर ग्राउंड की तरफ जा रहे थे उन्हें देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे मुर्दों को जबरदस्ती चलाया जा रहा हो और पी.टी. सर का पी.टी कराना ऐसा होता था कि साला आज ही आर्मी के लिए भेज दिए जाओगे
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बहुत हुआ
"बुलाती है मगर जाने का नहीं"
Now change your view.
अब
"जाती है तो बुलाने का नहीं"
Complete poem very soon.-
फीके पड़ जाते हैं बंधन सारे,
जब इश्क़ परवान चढ़ता है !
फ़र्क़ नहीं पड़ता फिर इंसान,
गीता,बाइबिल या क़ुरान पढ़ता है !!-
महकेगा हर पल ये मन कभी संग मेरे खिल जाइए
मिल जायेंगे खुद को हम बस आप मिल जाइए
दिल बागबान हो जायेगा संग मेरे दिल लगाइए
संभल जायेंगे बिगड़े हालात बस आप मिल जाइए
दिन रात सोते रहते हैं कभी ख्वाबों में तो आइए
सपने भी सच हो जायेंगे बस आप मिल जाये-
बारिश के बहाने आसमान को भी,
गम के बादलों में बरसते देखा है !
उम्मीद की नींव पर ख़ुशी का महल बनाने,
मुस्कान की एक ईंट को तरसते देखा है !!
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जमाने की हर चीख सुना,
सिवाय उसकी आवाज के !
उसका हर अंदाज अच्छा लगा,
सिवाय नज़र अंदाज़ के !!-
ऐ ख़ुदा मेरे बस करम कर इतना
मेरे कर्म हो ऐसे जिनका अंजाम जन्नत हो
मेरी एक दुआ कुबूल गर तू करे "शिवाय"
मैं मांग लूँ उसे जिसका नाम "मन्नत" हो-
भोर का बक्त होते ही फिर पीटी की सीटी है
लिख रहा हूँ वो यादें जो हर खुशियों से मीठी है
कि कुछ सोते कुछ भागते जा रहे कतारों में
कि कुछ मस्ती करते जा रहे थे यारो में
अब वक्त आता है विद्यालय में जाने का
अब वक्त हो गया है हमी नवोदय गाने का
कई आखों में इश्क ढूढते कुछ नयन मिला बैठे
पाकर छोटी सी मुस्कान को अपने होश गवा बैठे
फिर कक्षा में बैठकर पढने की बारी आती है
शिक्षक के साथ बीती हुई मस्ती भी याद आती है
वो सुहाने पल की सुहानी यादें है हर याद सुनाने की
ये प्यारी प्यारी यादें है छोटे से जमाने की
फिर हाउस की मीठी यादें वो बृतांत बताते हैं
लडते झगडते सारे यार फिर मिल बैठ कर खाते है
इक दूसरे को चिढाने पर अलग ही मजा आता था
कोई नाम बिगाड़ता तो कोई गाली भी दे जाता था
पता न चला कब बीत गये दिन वो हर याद सताती है
वो नवोदय की सारी बातें अब भी मन को भाती है
_jaydev navodayan
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