ग़मो को छुपाते हैं अक्सर हंसते हुऐ चेहरे
हकीकत में इतने हंसते हुए चेहरे नहीं होते-
◆● Å part time writer " 🔥
◆● in love with poetry 🖤
.
अच्छा ही हुआ वो मुक़द्दर में नहीं हैं
अपने दर्द का इकलौता हक़दार हूँ मैं-
चलते हुए भी कुछ थम सा रहा है
बचपन, मासूमियत, अब तो जवानी भी कमबख़्त-
हम गुस्ताख़, हमारी इतनी सी गुस्ताख़ी
मिली जब नज़रें, तो हमने पलकें झपका दीं..-
वो हर एक शाम बहुत खास होती थी
जब हम दोस्तों की आपस में बात होती थी
वो मीलों तक का सफ़र सुनसान सड़क पर
पता ही नही चलता कब रात होती थी-
पन्ने खाली पड़े हैं मेरी डायरी के
हालत क़लम के तो ठीक-ठाक हैं
थोड़ा ख़ुश रहने लगा है दिल आजकल
बस यही एक छोटी सी बात है-
listening "old songs" on speaker while cooking,
prevents tears in my eyes while chopping Onions
😄😄-
औकात नही थी तुम्हे ख़रीदने की
मैं कुछ इस क़दर बदनसीब था
तुम बदल रही थी महँगाई सी
और मैं बेचारा एक ग़रीब था
तुम सालन थी मेरे मनपसंद की
ये उलझन भी बड़ा अज़ीब था
थोड़े गिर जाते ग़र भाव तुम्हारे
तो हमारा रायता बड़ा लजीज़ था
..........😄😄..........-
उमड़ आते हैं, कई रंग मेरे चेहरे पर
लेते हैं मज़े, जब दोस्त तुम्हारा नाम लेकर
- राहत इंदौरी जी-