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लाल आंख और फटे बस्त्र में
इक दुख की मूर्ति दिखाता हूँ ... read more
इश्क़-ए-ख्याली की किताब लिख रहा हूँ
हर एक पन्ने पर तेरी याद लिख रहा हूँ
समेट रहा हूँ क़तरा क़तरा इस गम की किताब पर
तेरे जाने पर ख्वाबों की हर रात लिख रहा हूँ-
तलप मोहब्बत की धार तलवार सी है
गहरें पानी में डूबी पतवार सी है
और इश्क़ वया़ कर रहा है जिस्म का कतरा़ कतरा़
मुझे इल्म नहीं तेरे दिल-ए-साजी का
मगर सुरीली आन्खें तेरी कत्ल-ए-औजार सी है
और ये वेवफाई का इल्जाम क्यूँ डालू तुम पर
तेरे जाने की सजा ही दर्द-ए-वहार सी है
और हो गया खंडर अब तो दिल भी मेरा
तेरी चंद यादें गलें में सुंदर फुल्हार सी है
अब इश्क़-ए-कलमा न पढो़ जयदेव
ये जख्म नहीं इश्क़-ए-दरार ही है
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कद्र नहीं है तुम्हें जज्बातों के मेरे
बहुत दूर चले जायेंगे तेरे साये से भी हम-
मुझे लम्स नहीं चाहिए होठों का तेरे
बस तावीज बन कर उम्र भर हिफाजत करना मेरी-
कि बोझ बहुत है दिल पर गमों का मेरे रहवर
कोई कश्ती बता इस दरिया से निकलने के लिए-
सितमगर इस दुनिया में इक खूबसूरत चेहरा देखा है
मासूम सी आंखें देखी है हुस्न सुनहरा देखा है
सितारों की रोशनी देखी है चांद का दाग देखा है
तेरा इश्क करना तो खुदा से भी पाक देखा है
मेरी हर नज्म में तेरे लिए अंदाज देखा है
लोगों ने आंखों में इश्क का राज देखा है
तेरा हसना भी देखा है तेरा रोना भी देखा है
तेरी जुल्फों में हमनें एक सार खोना भी देखा है
तेरा साथ रहना जमाने ने हर पल खास देखा है
मेरे लिए तेरी रूह का अहसास देखा है....
तेरे महल देखें है मेरा रहवास देखा है
तेरे जाने के बाद मुझे जिंदा लाश देखा है
तुझे भूल जाने का अब नया अंदाज़ देखा है
अब तो लवों पर भी बेवफाई का राज देखा है..
_jaydev navodayan
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सबक ठोकरों से मिलता है जनाब
फिर भी लोग बाज क्यूँ नहीं आते मोहब्बत करने से-
मेरी अर्थी को कन्धा जरूर देना
तब तुझे समझ आयेगा मेरे गमों का बोझ कितना था-
पलकों पर शाम .......
तुम आने वाले हो साजन
ये फुलबारी महकायी है
कैसे निकला ये वक्त तेरे बिन
अब खुशियाँ आंगन छायी है
तुम आने वाले हो साजन
अब पलकों पर शाम सजायी है
इंतज़ार रहा मुझको सालों से
हर साल शदी भर आयी है
भीगे नयन ये सूजी आंखें
अब बारिश ने फुहार मचायी है
तुम आने वाले हो साजन
अब पलकों पर शाम सजायी है
रुनझुन रुनझुन गीत गा रही
ये हवा मस्ती में छायी है
पात् गिर रहें स्वागत में तेरे
पुष्पों ने गर्द मचायी है
नीला आसमां झुका आगमन में
ये महक चारों ओर छायी है
तुम आने वाले हो साजन
अब पलकों पर शाम सजायी है
_ jaydev navodayan
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