सोचने से क्या होगा
जो हो गया उस पर सोचने से क्या होगा,
वक़्त और हालात पर रोने से क्या होगा।
उठ कर लगा अपने अंदर जीत की वो चिंगारी,
कुछ पलों को भुला दे क्या थी ये दुनिया दारी।
ये जंग तेरे अकेले की, इस में लड़ना सिर्फ तुझे होगा,
कहने को तो सब साथ है लेकिन इन रास्तों पर जलना सिर्फ तुझे होगा।
जो हो गया उस पर सोचने से क्या होगा,
वक़्त और हालात पर रोने से क्या होगा।
तू हारा नहीं जब तक तेरे अंदर जीत की ललक वाकी है,
दुनिया की तुझे क्या जरूरत, तू तो खुद ही खुद का साथी है।
रास्ते है ये कठिन, इन पर मत हो तू कमजोर,
कुछ पलों की ये खामोशी है, फिर होगा तेरी जीत का शोर।
जो हो गया उस पर सोचने से क्या होगा,
वक़्त और हालात पर रोने से क्या होगा।
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