श्रीकृष्ण से कितना कुछ छूटा पहले माँ छूटी, फिर पिता छूटे फिर जो नंद-यशोदा मिले, वे भी छूटे संगी-साथी छूटे...राधा भी छूटीं... गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी.. श्रीकृष्ण से जीवन भर, कुछ न कुछ छूटता ही रहा.!नहीं छूटा तो देवत्व मुस्कान और सकारात्मकता श्रीकृष्ण दुःख नहीं उत्सव के प्रतीक हैं.!सब कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है यह, श्री कृष्ण से अच्छा कोई नहीं सिखा सकता.!इसलिए हमेशा खुश रहें सदा मुस्कुराते रहें..
श्री कृष्ण कहते है अपमान वो घाव है जो सम्मान को चकना चूर करता है और अपमान यदि नारी की अस्मिता का हो तो बात पहुँच जाती है कुरुक्षेत्र तक आज भी यदि नारी के सम्मान को कोई छेड़ दे तू छिड़ जाती हैं महाभारत