सच्चाई से मुँह मत मोड़ो,
सच्चाई का साथ ना छोड़ो।
अंधेरों में भी रौशनी बन जाओ,
झूठ की भीड़ में सच की बात दिखाओ।
डगमगाए पथ तो भी डटे रहो,
असत्य के शोर में भी शांत सच कहो।
सच अक्सर अकेला होता है, फिर भी न डरे,
वक़्त के साथ वो ही उजाले में खड़ा होगा, ये जान लो।
©रचनात्मक संसार
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हँसते मुस्कुराते रहिए,
जीवन की धूप-छाँव में भी खिलते रहिए।
जब रिश्तों की डोर उलझे, प्यार से सुलझाते रहिए,
हर मोड़ पर कुछ नया रचने का सपना बुनिए ।
अधूरी तस्वीरों में भी रंग भरते चलिए,
सुकून कहीं बाहर नहीं, अपने भीतर तलाशिए।
अनकहे जज़्बातों को भी मुस्कान से सजाइए,
जो बीत गया, उसे गीत बनाइए ।
और जो सामने है, उसे सौंदर्य बनाइए,
बस यूं हीहँसते मुस्कुराते रहिए ।
©रचनात्मक संसार-
सतरंगी सपने, देखे हैं हमने,
हर रंग में बस तुम ही तो हो।
चाँदनी रातें, भीगी हवाएँ,
इन लम्हों में खुशबू तुम ही तो हो।
हर ख्वाब में तुम्हारा चेहरा,
हर धड़कन में तेरा नाम लिखा।
चलो इन सपनों को सच कर दें,
हाथ थामो, और चलो जहां चलना हो ।
©रचनात्मक संसार
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कुछ नहीं कहना है मुझको,
अब शब्दों से क्या होगा।
जो दिल टूटा एक बार,
वो फिर कैसे जुट पाएगा ।
तुम कहते हो बात करो,
मैं चुप रहकर भी रोई हूँ।
तुम्हें चाहा बेहिसाब,
पर खुद को भी तो खोई हूँ।
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धीमे धीमे बढ़े चलो,
साहस को थामे चलो।
राह भले ही मुश्किल हो,
मन में विश्वास के दामन को थामे चलो।
हर कदम में छुपा है उजाला,
बस अंधेरों से ना डरा करो।
गिर कर भी उठना सीखो,
अपने होंसलों को साथ लिए चलो।
©रचनात्मक संसार-
जिंदगी तेरे लिए ही तो हर सुबह मुस्कराए हैं,
ग़म छुपा के दिल में, चुपके से गीत गाए हैं।
तेरे ही नाम पर हर खुशी कुर्बान कर दी,
तेरे लिए ही हर मोड़ पे उम्मीद लगाए हैं।
कभी तन्हा, कभी महफिल में भी खो गए,
तेरे सफ़र में कई ख्वाब भी रो गए।
पर फिर भी तुझसे शिकवा कोई नहीं,
जिंदगी तेरे लिए ही तो ये जज़्बात सजाए हैं।
©रचनात्मक संसार-
देखिए दुनिया की ओर,
वरना इन आँखों का क्या फायदा!
जो न देखे दर्द किसी का,
तो ऐसी नज़रों का क्या फायदा!
जो न पढ़े चुप्पी लबों की,
जो न समझे जज़्बातों को,
केवल देखने से क्या होगा,
अगर न हो एहसास का फायदा!
©रचनात्मक संसार-
अपने आप कुछ नहीं मिलता,
जो मिलता है श्रम से मिलता है।
परीक्षा की हर घड़ी हमें,
सच्ची मेहनत ही हमारे काम आता है।
जो रातों को जागे होते हैं,
सपनों को सच वो हर हाल में करते हैं।
कठिन परिश्रम और लगन से ही,
हर प्रश्न उनको सरल सा लगने लगता है।
©रचनात्मक संसार-
क्यों न हम... फिर कोशिश करते हैं,
टूटे हुए सपनों को जोड़ते हैं।
गिरने से डरना कैसा यारों,
चलो फिर से उड़ान भरते हैं।
अंधेरों से कह दो हट जाएं,
हम उम्मीद की मशाल जलाते हैं।
हर हार को बनाकर अपनी सीढ़ी,
क्यों न हम... फिर कोशिश करते हैं।
©रचनात्मक संसार-
उम्मीद का दामन थाम के चल,
यूं तू अपना यह भाग्य बदल।
करुणा से हर दिल को छू लेना,
दया की नदियाँ हृदय में बहा लेना।
मानवता का दीपक प्रज्वलित कर,
प्रेम से हर राह को रोशन कर।
सहयोग से बिखरे सपनों को संवार,
विश्वास के संग बना सुंदर संसार।
©रचनात्मक संसार-