रचनात्मक संसार   (💻Abhinandan Creations🖱)
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Joined 12 January 2021


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Joined 12 January 2021

वादा करना क्या जरूरी था, जब निभाना न था,
ख्वाब दिखाना ही काफी था, जो टूट जाना था।
हर लम्हा तेरी बातों पे एतबार किया,
अब सोचते हैं क्यों दिल को यूँ बेकरार किया।

तेरी एक मुस्कान पे सब कुछ लुटा बैठे,
तेरे झूठे वादों में खुद को मिटा बैठे।
अगर जाना ही था तो चुपचाप चले जाते,
ये झूठा वादा क्यों किया, क्यों दिल जला गए।

©रचनात्मक संसार

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कभी कभी सच में लगता है,
किसी और की ज़िंदगी जी रहे हैं,
ख़्वाब अपने नहीं, फिर भी उसे देख रहे हैं।
चेहरे पे मुस्कान है, और दिल में खालीपन लिए,
रंग किसी और के, पर खुद ही रंगने का
प्रयास कर रहे हैं ।

कभी कभी लगता है,
मर्ज़ी से चलना तो भूल ही गए,
भीड़ में खुद को कहीं खो दिए हैं।
अब तो वक़्त है खुद से मिलने का,
जो हैं वही बनकर जीने का।

©रचनात्मक संसार

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भीतर झांकिए कभी, खुद को जानिए,
हर दिन के कर्मों पर ध्यान तो दीजिए।
शब्दों से अधिक, मौन भी कुछ कहता है,
मन के सवालों से कभी न डरिए।

गलतियों से सीखिए, आगे बढ़िए,
सच का सामना कर, खुद को तराशिए।
आत्म चिंतन कीजिए, और निरंतर कीजिए,
इसी में छुपी है सिद्धि, इसलिए
जीवन की साधना कीजिए।

©रचनात्मक संसार

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ज्ञान प्राप्त करना है, यही लक्ष्य बनाएं,
अंधकार मिटे मन का, ऐसा दीप जलाएं ।
सत्य की खोज में चलें, न थकें, न रुकें,
हर अनुभव से सीखें, और जीवन को समझें।

पढ़ें, सुनें, विचारें, मनन करते रहें,
प्रश्न उठाएं बार-बार, उत्तर तक बहते चलें ।
अभ्यास से निखारें बुद्धि, विवेक बढ़ाएं,
ज्ञान के प्रकाश से जग को जगमगाएं।

©रचनात्मक संसार

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बुद्ध हो जाना मतलब, जाग जाना अंधेरों से,
अंतर की शांति को चुनना बाहरी शोरों से।
वासनाओं की आग में खुद को न जलाना,
मोह-माया की दुनिया से ऊपर उठ जाना।

दया, करुणा और सत्य की राह पकड़ लेना,
हर जीव में खुद का ही प्रतिबिंब देख लेना।
क्रोध और द्वेष को प्रेम से हराना,
यही तो है असली बुद्ध हो जाना।

©रचनात्मक संसार

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साहस वो दीपक जो तम में जलता है,
हर कठिनाई से निडर होकर चलता है।
डगमग राहों में देता दिशा का ज्ञान,
आंधी में भी रखे उम्मीद का स्थान।

डर को जो आँखों से देखे, वो वीर है,
जो गिरकर उठे, वही ज़िंदा तस्वीर है।
साहस से ही जीवन बनता उत्सव महान,
यही गुण देता हर सपने को पहचान।

©रचनात्मक संसार

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मां है ममता की मूरत प्यारी,
हर दुःख में बनती सहारा हमारी।
उसकी ममता शीतल छाया,
हर पल उसका प्यार ही पाया।

थकती नहीं, फिर भी मुस्काती,
सपनों में भी दुआएं बरसाती।
उसके बिना सूना है हर साज,
मां ही जीवन की सबसे बड़ी आवाज़।

©रचनात्मक संसार

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परीक्षा की घड़ी है आई,
सहनशीलता की कसौटी लाई।
काग़ज़ पर नहीं बस शब्द भरना,
मन लगाकर सबकुछ समझना,
बहुत जरूरी है,
जो करना है ध्यान से करना।

(आगे अनुशीर्षक में)

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खाली कप में ढूँढ रहा था जाम कोई पुराना,
कुछ तो बचा हो यादों का, कुछ तो हो अफसाना।
पर हर घूँट में घुल गया, सन्नाटा इक चुपचाप सा,
खाली कप में मिल गया, खुद से ही एक ताना।

©रचनात्मक संसार

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प्रणाम करो उस सूरज को, जो सारे संसार को जगाए,
प्रणाम करो उस धरती को, जो जीवन का भार उठाए।

प्रणाम करो उन हाथों को, जो श्रम से सुख उपजाते,
प्रणाम करो उन पथिकों को, जो राह नई दिखलाते।

प्रणाम करो उस माँ को, जो ममता का सागर बहाए,
प्रणाम करो उस जल को, जो हर प्यासा तरस मिटाए।

प्रणाम करो हर उस मनुज को, जो सच का साथ निभाए,
प्रणाम करो उस जीवन को, जो प्रेम सर्वस्व फैलाए।

©रचनात्मक संसार

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