तुम्हें देखने का,
पहले कारण कुछ और था,
अब कुछ और है ।
इस बदलाहट में,
है कुछ ऐसी बातें जो,
अब भी नहीं बदले हैं ।
यूं तो बहुत कुछ छोड़ चुका हूँ मैं,
फिर भी क्या लगता है,
वही हूँ मैं या,
कुछ और ही हो गया हूँ मैं !
मैं से मैं कभी नहीं छूटता शायद,
मैं सब कुछ एकत्रित कर ही लेता,
फिर भी पता नहीं क्यों,
इस संयोजन में कितने वक्त जाया होंगे !?
✍️ अभिषेक
-
तुम्हें छिप कर देखने की,
आदत नहीं गई है हमारी ।
कोई जरूरत नहीं,
फिर भी... हां, आज भी,
तुमसे जुड़ा हुआ है,
ये दिल शायद,
इसलिए भी,
तुम्हारी निःशब्दता चुभती है मुझे ।
तुम्हारी इस बेदिली हरकत से,
आज भी कहीं घायल है,
ये दिल शायद !
क्या चाहिए इसे,
बस संवाद के हल्के छींटें,
ताकि जाग सके तुम्हारे ख्वाब से,
ताकि निकल सके तुम्हारी तंग गलियों से,
ये दिल शायद !
✍️अभिषेक-
हर बार संवारने के चक्कर में,
बिगाड़ा है मैंने खुद को ।
हर बार संभालने के चक्कर में,
धराशाई पाया है मैंने खुद को ।
हर बार एक नई दिशा देने के चक्कर में,
दिशाहीन सा पाया है मैंने खुद को !
– ✍️अभिषेक-
कुछ लोगों को ‘शौक’ होता है,
सिर्फ "Sad Status"
लगाने का...
.
.
.
बाकी लाइफ उनकी एकदम,
टनाटन चल रही होती है !
😄-
पहले मेरी दुनिया भी
मुस्कुराती थी, हंसती थी,
अब हँसने मुस्कुराने के लिए,
इमोजी है ना....
😊😆🤩
✍️अभिषेक कुमार ‘अभिनंदन’-
वादा करना क्या जरूरी था, जब निभाना न था,
ख्वाब दिखाना ही काफी था, जो टूट जाना था।
हर लम्हा तेरी बातों पे एतबार किया,
अब सोचते हैं क्यों दिल को यूँ बेकरार किया।
तेरी एक मुस्कान पे सब कुछ लुटा बैठे,
तेरे झूठे वादों में खुद को मिटा बैठे।
अगर जाना ही था तो चुपचाप चले जाते,
ये झूठा वादा क्यों किया, क्यों दिल जला गए।
©रचनात्मक संसार
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कभी कभी सच में लगता है,
किसी और की ज़िंदगी जी रहे हैं,
ख़्वाब अपने नहीं, फिर भी उसे देख रहे हैं।
चेहरे पे मुस्कान है, और दिल में खालीपन लिए,
रंग किसी और के, पर खुद ही रंगने का
प्रयास कर रहे हैं ।
कभी कभी लगता है,
मर्ज़ी से चलना तो भूल ही गए,
भीड़ में खुद को कहीं खो दिए हैं।
अब तो वक़्त है खुद से मिलने का,
जो हैं वही बनकर जीने का।
©रचनात्मक संसार
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भीतर झांकिए कभी, खुद को जानिए,
हर दिन के कर्मों पर ध्यान तो दीजिए।
शब्दों से अधिक, मौन भी कुछ कहता है,
मन के सवालों से कभी न डरिए।
गलतियों से सीखिए, आगे बढ़िए,
सच का सामना कर, खुद को तराशिए।
आत्म चिंतन कीजिए, और निरंतर कीजिए,
इसी में छुपी है सिद्धि, इसलिए
जीवन की साधना कीजिए।
©रचनात्मक संसार-
ज्ञान प्राप्त करना है, यही लक्ष्य बनाएं,
अंधकार मिटे मन का, ऐसा दीप जलाएं ।
सत्य की खोज में चलें, न थकें, न रुकें,
हर अनुभव से सीखें, और जीवन को समझें।
पढ़ें, सुनें, विचारें, मनन करते रहें,
प्रश्न उठाएं बार-बार, उत्तर तक बहते चलें ।
अभ्यास से निखारें बुद्धि, विवेक बढ़ाएं,
ज्ञान के प्रकाश से जग को जगमगाएं।
©रचनात्मक संसार-
बुद्ध हो जाना मतलब, जाग जाना अंधेरों से,
अंतर की शांति को चुनना बाहरी शोरों से।
वासनाओं की आग में खुद को न जलाना,
मोह-माया की दुनिया से ऊपर उठ जाना।
दया, करुणा और सत्य की राह पकड़ लेना,
हर जीव में खुद का ही प्रतिबिंब देख लेना।
क्रोध और द्वेष को प्रेम से हराना,
यही तो है असली बुद्ध हो जाना।
©रचनात्मक संसार-