14 MAR 2021 AT 8:36
7 JUN 2020 AT 21:54
उलीच ली रेत , खोद लिए पत्थर
काट लिए पेड़ , तोड़ दी मेड़
रेत से पक्की सड़क ,
पत्थर से मकान बनाकर
लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर
अब भटक रहे हैं
मृत कुओं में झाँकते,
रीती नदियाँ ताकते झिरिया , खोजते लू के थपेड़ों में
बिना छाया के हो जाती सुबह से शाम
फिर भी सब बर्तन रहते खाली ।
सोने के अंडे के लालच में , मुर्गी मार डाली !!-
8 OCT 2020 AT 14:46
तेरी मेरी कुछ यूं कहानी हैं
जैसे जैसलमेर का रेगिस्तान और राजसमन्द का पानी है।
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16 AUG 2017 AT 20:37
हबीब से बने रकीब, और रकीब से फिर गैर हो गए हम,
हुआ करते थे कभी उदयपुर, अब जैसलमेर हो गए हम।-
11 JUL 2020 AT 22:38
रूठ जाने की ख़्वाहिश इश्क़ में कहाँ होती है
अग़र शख़्स मतलबी हो, तो अलग बात है-