Hitpal Singh Ranawat   (Hitpal singh)
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Joined 15 December 2016


Joined 15 December 2016
22 DEC 2021 AT 13:48

सबसे खूबसूरत मुस्कान,
देखी है क्या तुमने कभी?
नही वो नही,
मैं कहता हूं
तुमने नही देखी
वो एक हीरे जैसी होती है
वो मिलती है किसी विरले को,
और वो उसे अपने साथ ले जाता है
तो सवाल ही नही उठता
तुम्हारा
सबसे खूबसूरत मुस्कान देखने का
और हाँ
तुम विरले तो बिल्कुल नही हो।

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1 NOV 2021 AT 10:28

मैंने एक बार पूछा था
पूछा था उससे
की मनपसन्द फूल कोनसा है तुम्हारा?
मैं हैरत था
उसने गुलाब नही कहा
ना चम्पा, ना मोगरा
ना कोई विदेशी फूल
उसने कहा,
पारिजात के फूल
भला पारिजात के फूल
किसके मनपसन्द होते है,
ऐसी अजीब पसन्द क्यों
उसने कहा तुम समझ जाओगे एक दिन
आज सोचता हूँ
इश्क़ की जिस हकीकत से
तुम उस वक़्त वाकिफ थी,
वो बेमिसाल था
हालांकि तुम्हे कोई हक नही था
नादानियों के दौर में
इतने ज़हीन होने का।
फिर भी
तुम सही थे
इश्क़ पारिजात सा ही होता है।

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4 JAN 2020 AT 22:17

चंद रोज पहले एक किताब हाथ लगी,
पुराना सा जिल्द
उसकी उम्र बताता हुआ,
और कटे फटे से सफे
पढ़ने वालों की बेतरतीबी।
हर्फ़ दर हर्फ़ वो किताब
सवालिया होती चली गयी,
पढ़ते पढ़ते कुछ सफे दिखे,
बिल्कुल अनछुए,
ना कटे, ना फटे, ना गले हुए
और ना ही कही इंसानी अंगुलियों की छाप,
अष्पष्ट और धुंधले से हर्फ़
मानो किताब खुद नही चाहती
अपनी हकीकत ज़ाहिर करना।
फिर भी पढ़े दो चार सफे,
बमुश्किल दो चार अनछुए सफे
उसकी रूह के एक हिस्से से
जबसे मुख़ातिब हुआ हूँ,
यही चाहता हूँ अब
की अकेले पढू उसे,
मेरे साथ या मेरे बाद
कोई हमसबक न रहे उसका।


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12 DEC 2019 AT 10:21

जैसे जरूरी हो पिचहत्तर फीसद, हाजरी करता है।
आजकल जिसे देखो, बस शायरी करता है।

उसकी एक आह से चले आते है लोग कई,
जैसे भेड़ो को बुलाने की कवायद गायरी करता है।

मुश्किल तो होगी ज़माने से मेरा तआरुफ़ कराने में तुम्हे,
क्या कहोगी? के कुछ नही, बस शायरी करता है।

अपने ढाये सितम से जानता है वो लोगो को,
बड़ा ज़ालिम है, आदम को डायरी करता है।

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11 MAY 2019 AT 22:24

इश्क़ में मुझको कभी मुझको ख़ुदा होने ही नही देता है वो,
वक़्त वक़्त पर मुझको ज़मीन दिखा देता है वो।

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22 JAN 2019 AT 22:08

कभी अंधेरा,
कभी उजाला,
ये खलता है मुझे
एक काम करो तुम
एक बार आ जाओ
ताकि इतना उजाला हो जाये
कि अंधा हो जाऊं
और उस अंधेरे में
बस ये याद रहे मुझे
कि आखिरी उजाला
तुम्हारे साथ देखा।

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1 JAN 2019 AT 15:25

You were the devil.
Devil from my past
That can ruin my future.
I begged you
To stay under my bed
To never come out.
You stayed there
I thought you won't come out,
But least I knew was
You were waiting for a perfect day
A day when I'll be the most
Happiest person.
You came out that day
You ruined everything
If I knew this will happen
Then I would've killed you,
I would've
Burned down my bed.

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10 DEC 2018 AT 11:19

अंजाम फ़क़त एक लम्हा तो नही,
तुम इसे आगाज़-ए-अंजाम कह लो।

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3 DEC 2018 AT 6:15

सज़ा मंज़ूर है मुझे की तुम बस इल्ज़ाम बदल दो,
नशे में मैं इतना भी नही की तुम जाम बदल दो,
मुकम्मल इश्क़ भी भला कोई इश्क़ हुआ,
मेरी मानो इस कहानी का तुम अंजाम बदल दो।

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26 SEP 2018 AT 11:56

सारे शहर में मायूसी बिखरी पड़ी है,
की कल शाम हर गली कूँचे से गुज़रा हूँ मैं।

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