मैं पेड़ पर लगा, हरा भरा पत्ता था।
पतझड़ आया, गिरा गया ।।
सूख रहा हूं धीरे धीरे,
कुछ वक्त है मेरे पास अभी भी।
कुछ दिन बाद जल जाऊंगा।।
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☺️बस लफ्ज़ो की कारीगरी है साहेब..
इसे शायरी समझो या... read more
मैं किसी दिन इक कहानी लिंखूगा...
कुछ पन्ने खाली रखूंगा उनके नाम जिन्हें भूल गया हूं
कुछ पन्नों पर पर लिखूंगा अव्वल दर्जे के लोगों को ।।
किसी के नाम को गहरा करूंगा जो आम थे
किसी नाम को छुपा लूंगा जो बेहद ख़ास थे ।।
मैं किसी दिन इक कहानी लिंखूगा...
मैं बीती घटनाओं, प्रेम, सराहना, धोखा सब लिखूंगा
लिख न पाऊंगा किसी के नाम, गली, और पत्र को ।
मैं जज़्बात, किस्से, फूल और किताबों पर चर्चा लिखूंगा
लिख न पाऊंगा किसी की बातें, हालात और मित्र को ।।-
शहर के चाय ठिकाने सब याद है मुझें
इससे बड़ा हमदर्द कोई नहीं
सबको अपना कर देख लिया इस उम्र तक
इससे इतर सुकून कहीं नहीं-
मित्र जो दर्पण हो,
मित्र जो तर्पण हो।
मित्र जो सुख दुःख बाटें,
मित्र जो मुझे हजारो में छांटे।।
छल, कपट, द्वेष, ईर्ष्या से वो दूर हो।
वो मुझसे जुड़ा एक नूर हो।।-
यूं तो मिले हैं कई अजीज़ इस ज़माने में
किसी के कोई गिला नहीं
मैं चाहता हूं कोई हो बस मेरे जैसा
ऐसा कोई शख़्स मिला नहीं-
प्रकृति ने हमें भाव दिए, हमने शब्द गढ़ लिए
अब लोग शब्द समझते हैं, भाव नहीं-
प्रकृति ने हमें भाव दिए, हमने शब्द गढ़ लिए
अब लोग शब्द समझते हैं, भाव नहीं-
मैंने ख़ुद के बारें में अभी कुछ नहीं जाना
दुनिया ने मेरे बारें में सबकुछ ठीक जाना-