QUOTES ON #JAINISM

#jainism quotes

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25 MAR 2019 AT 11:47

" हमारा मकसद बुरे व्यक्ति को अच्छा बनाना हो
ना कि बुरे के साथ बुरा बनना "

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13 AUG 2018 AT 19:20

Of Being JAIN

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11 APR 2020 AT 20:36

" दूसरों की हर बात मानकर
हम लोभ के चक्कर में
लाभ को भी खो देते हैं

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30 MAY 2021 AT 23:05

रात्रि भोजन न करो
पियो छान कर पानी
चलो तो नीचे देखकर
कही हिंसा न हो जाए तुमसे प्राणी
जो हर पथ पर अहिंसा का मार्ग प्रशस्त करता है
फिर कोई कैसे उस पर हिंसा का दोष लगा सकता है ?

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10 SEP 2021 AT 7:32

व्यर्थ उलझा रखी है जिदंगी
चलो थोड़ा इन धागो को सुलझाया जाए
पुरे साल किये कर्म बहुत
चलो इस पर्युषण पर्व में उनको धोया जाए
अहिंसा परमो धर्म को सिर्फ विचारो में नहीं
आचार में झलकया जाए......
चलो सच्चे अर्थो में जैन बना जाए.....

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14 JAN 2022 AT 23:44

एक ईश्वर मानने वाले धर्मों की अपेक्षा अनेक देवता मानने वाले धर्म हज़ार गुना उदार रहे हैं। उनके ईश्वरों की संख्या अपरिमित होने से औरों का भी समावेश आसानी से हो सकता था किंतु एक ईश्वरवादी वैसे करके अपने अकेले ईश्वर की हस्ती को ख़तरे में नहीं डाल सकते थे।

आप दुनिया के एक ईश्वरवादी धर्मों के पिछले दो हज़ार वर्षों के इतिहास को देख डालिए, मालूम होगा कि वह सभ्यता, कला, विद्या, विचार-स्वातन्त्र्य और स्वयं मनुष्यों के प्राणों के सबसे बड़े दुश्मन रहे हैं।

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17 AUG 2020 AT 15:28

द-या धर्म का मूल है , इसको उर में धार
स- ब जीवों को जीने का है समान अधिकार
ल-ड़ मन के विकारी भावों से,दे दूर भगाएं
क्ष-य अष्ट कर्मों का करलें, फिर सिद्धि महापद पाए
न-श्वर है देह समझ जीवन की क्षण भंगुरता
म-न वचन कर्म में अंतर न रहें, हो एकरूपता
हा-सिल हो जाए फिर मानव जीवन की भव्यता
पर्व -पर्यूषण बारम्बार दर्शाये शुद्धात्म की महत्ता

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25 APR 2021 AT 13:00

स्वयं पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर हैं ।
It's better to win over self than to win over a million enemies ..
BY Lord MAHAVIRA

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25 AUG 2020 AT 10:59

Thori hassi bikherker rakhna apney cherey par
Thora apney baat kerney ka lehza bhi samhal Ker rakhna
Kehna jo mun mei ho pyar se,jawab na milney per aakna apney sawal ko ek baar
Anjaaney mei shi,kisi ko mat satana,kisi kei dil ko mat dukhana
Apni insaniyat se kisi ko dara mat dena

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15 JAN 2022 AT 14:53

यह मानव जगत प्रतिक्षण परिवर्तित हो रहा है। ऐसी स्थिति में स्थिरतावादी धर्म हमारे कभी सहायक नहीं हो सकते। हमारी समस्याओं को और उलझाना, प्रगति विरोधियों का साथ देना ही धर्मों का एकमात्र उद्देश्य रह गया है।

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