'शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त सं किर'
अर्थात्
'सैंकड़ों हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से उसे दान करो' - अथर्ववेद-
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'शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त सं किर'
अर्थात्
'सैंकड़ों हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से उसे दान करो' - अथर्ववेद-
" उन पर ध्यान मत दीजिए जो
आपकी पीठ पीछे बात करते हैं
इसका सीधा सा अर्थ हैं कि
आप उनसे दो कदम आगे हैं-
" पहचान से मिला काम
थोड़े समय तक ही टिकता हैं
लेकिन काम से मिली पहचान
उम्रभर तक टिकती हैं
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किसी की सलाह से
रास्ते जरूर मिलते है
पर मंजिल तो
खुद की "मेहनत" से ही मिलती है-
" समय होता है तब हम प्रमाद करते हैं
और समय नहीं होता
तब हम पश्चाताप करते हैं-
" फिर से कोशिश करने से मत घबराना
क्योंकि इस बार शुरुआत शून्य से नहीं
अनुभव से होगी-
" रिश्ते और रास्ते
तब खत्म हो जाते हैं
जब पांव नहीं
दिल थक जाते हैं-
" पूरी दुनिया जीत सकते है संस्कार से
जीता हुआ भी हार जाते है अहंकार से-
" अपनों का साथ बहुत आवश्यक हैं
सुख हो तो बढ़ जाता हैं और
दु:ख हो तो बट जाता हैं
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