हर नजर के लिए मुख्तलिफ पयाम में हम,
कहीं है जहर का प्याला तो कहीं जाम है हम🥂-
मार रहा है मुझे हर पहर,तुझे इश्क़ कहूँ या जहर
काबिज़ है तू मेरा इस क़दर, तुझे इश्क़ कहूँ या माँ के दुआओं का असर
-अनुपमा वर्मा
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Kabhi hasin aur kabhi jahar lagti hai
Kabhi meethi aur kabhi namkin lagti hai
Kabhi nark aur kabhi suwrag lagti hai
E jindagi tu hi bta de tu meri kiya lagti hai-
Ab jahar bhi maangu main, toh
Kisse maangu ? , yaha toh har koi
Insaaan apne bhitar jahar ka dariya
Chhupaye baitha hai ...
Yaha har koi ek dusre ka dil dukhaaye
Baitha hai ...-
रूह दस्तक दे रही है.......
वो आज भी दुआओ में मांगता है
बेखबर ना जाने उससे कैसा राब्ता है
मेरी हर मंजिल का वही एक रास्ता है
लिख चुकी हूं उसे अब जीने का एक वास्ता है
नाम अब भी वही है ...
एक दिल दूसरे दिल को पहचानता है
एक दूसरे को अपना खुदा मानता है
हर घड़ी बस ये बेचारा उसे ही चाहता है
ए मेरे खुदा अब चाहे दे दे दर्द - ए - इश्क
सुना है जहर जहर को काटता है...... !
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इश्क़ वो जहर है जो न चैन से जीने देगी,
न चैन से मारने देगी...-
प्रिय कभी मरने का शौक हो
तो जहर न ज़ाया करना
इक तरफ़ा इश्क हूं मैं
मन की आंखों में भर लेना..-
जब तुम मुसकुराती हो
मजा देती है ईमली भी
मगर जब रुठ जाती हो
मिठाई जहर लगती है
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