सितम तो कर दिया तुमने हम चुप-चाप रह गए उम्र का फासला बहोत हैं बेशक हमारे दरम्यान अब तुमसे नहीं होंगे कोई हमारे गिले-शिकवे जिनके साथ बधेंगी मेरी डोर उनके हाथों को पकड़ लेंगे ऐ सितमगर मिटा कर तेरे संग बीते उन लम्हों को जैसे सहा है तेरे सितम को वैसे ही सब-कुछ हस के सह लेंगे...!
वक़्त बदल जाता है, दोस्त बदल जाते है मौसम की फितरत तो देखो, हर रोज़ बदल जाते है, जिंदगी के इन राहों पर मुसाफिर की तरह खड़े है हम, खुद पर रखो यकीन, यहाँ तो जख्मो के खरोच बदल जाते है ।