बन शख्सियत वहीं, जो तुम चाहते हो देखना
हरहाल कोशिश तो कर, युह चलना तु छोड़ना!-
लिखता वहीं हुं जों दिल से जुड़ा हैं।
कहानी यूंही अधूरी नहीं मेरी ,
शायद इस डायरी का कोई पन्ना ही उखड़ा है।।-
दुनिया की नज़रों में अपना मान और
भरोसा गवा दो तो फिर भी लौटा पाओगे
परन्तु जब अपनों की नज़रों में गवा दिया
तो वापस लाना बहूत मुश्किल पाओगे-
तुझे हारना नहीं हरा के दिखाना है ,
मुश्किल कितना भी हो मंजिल पहुँच जाना है ,
ओले पड़े या बाढ़ आये अड़िग खड़े रहना है ,
हर हार को अपनी ताक़त से जीत के दिखना है🙂🙂-
माना बात नहीं होती उनसे, तो क्या ख़्याल छोड़ दू?
माना मुलाकात नहीं होती उनसे, तो क्या ख्वाब तोड़ दू?
माना दीदार नहीं होता चाँद का , तो क्या घर बदल लू ?
और माना जायज़ नहीं होती मोहब्बत इस क़दर किसी से ,
तो क्या ज़माने के लिए मैं उनसे मुँह मोड़ लू...?-
इज्ज़त का क्या है ?
इस जहां में तो लोग कटी पतंगों भी जमकर लूटा करते हैं ।😑😟-
अजनबी शहर में पीठ पीछे पत्थर किसी ने फेका ,
ज़ख्म बयां कर रहा शहर में कोई तो है अपना ।।😑😞-
अक्सर दिल की बात होठों पर आकर ठहर जाती हैं,
दिल और दिमाग की कश्मकश में दिमाग बाज़ी मार जाता हैं,
और खामोश दिल ख़ामोश ही रह जाता हैं,
शातिर दिमाग के पेंतरो से नादान दिल हार जाता हैं,
माना दिमाग चालाक होता हैं पर दिल भी कम नहीं,
अपनी बात पर अड़ जाए तो फिर किसी की सुनता नहीं,
इसीलिए कहते हैं-" ज़िद्दी दिल माने ना"
वेला दिल इश्क को इबादत माने, जज्बातों में बहता जाए,
माहिर दिमाग माप-तौल कर चलता,बुलंद इरादे कभी डगमगाए ना,
शायद एक उलझे हुए दिल से तो सुलझा हुआ दिमाग ही बेहतर होता हैं......-
याद आ रही है ! नही तो....
किस सोच मै खोये हो !!
यूँ ही ज़िन्दगी गुज़ारनी है ! नही तो....
अच्छा ! फिर इतनी उदासी क्यो ??
कुछ अज़ीज़ खो दिया है ! नही तो....
छुपा क्यो रहे हो ! वो तुम्हे याद नही करती !!
इस चीज़ से दुखी हो ना ! नही तो....
वो इंतेज़ार तो कर रही है पर तुम्हारा नही !!
यही गम की वजह है ना ! नही तो....
नही तो से क्या होगा ??
दिल मे बहुत कुछ छिपाए बैठे हो ना ! नही तो....
फिर ये सब क्या है ??
पूरी ज़िन्दगी इसी दरवाज़े पे रहना है !! नही तो....
कामिल नही हुआ बुरा लग रहा है !!
अब इश्क़ से नफरत हो गयी क्या ? नही तो....
कितने प्यार से बुला रही है जाते क्यो नही !!
मौत से कोई गिला है क्या ? नही तो....
!!!!-