वक्त ही बताएगा
जब भी रोना चाहों वो खुलकर हसाएगा-
Bless
(Pritesh Jain)
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परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति!
Joined 11 April 2020
7 JUL 2024 AT 1:19
है सफ़र, बस एक ढहराव है
सिर्फ रास्ता मोड़ा है एक छोटा सा बदलाव है
( समंदर में मंजिल की ख्वाहिश क्यों है?
हर किनारा तो बस थोड़ा ढहराव है ! )
-
14 JUN 2024 AT 12:36
लहरों की तरह
सूकुन से चले जाना ही फितरत नहीं
( कभी भिगाते है तो कभी डुबाते है )-
2 APR 2024 AT 13:18
देखें थे जो ख्वाब पूराने होंगे
रास्ते आसान नहीं, पर कदम से कदम बढ़ाने होंगे-