के अब तो जब हिचकियां आतीं हैं,
तब भी तू याद नहीं आती।
लगता हैं दुनिया में ना जाने कौन होगा जो मुझे दिल से याद करता होगा,
मगर लबों पर एक तेरा नाम आता हैं और हिचकि रुक जातीं हैं।
वाह रे ज़िंदगी,
तू भी अजीब खेल खेलतीं हैं।
पहले लोगों को दूर करतीं हैं,
फिर उन्हीं को पास लाने के हज़ार तरीके ढूंढती हैं।
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