QUOTES ON #HELPLESS_SITUATION

#helpless_situation quotes

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29 MAR 2022 AT 21:10

देखे हुए उन्हे जमाना 💫हो गया,
जमाने की बात किए हमें जमाना हो गया☄️।।

🥀💌❤🌹

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11 MAY 2019 AT 0:56

Person becomes feeble.....

When the Battle is between
"mind and heart"

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13 MAY 2021 AT 20:05

बेबस हूँ, मेरे मौला;
इस दवा के कतार से मुझे देर ना हो जाए
मेरा अपना अस्पताल मे जंग लड़ रहा,
कही मेरे जाने से पहले;
सांसों के इम्तिहान मे फेल ना हो जाए..

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2 AUG 2020 AT 15:12

Helplessness is the situation when your mind don’t support your heart .Helplessness sometimes may be extremely harmful so better be careful with your mind and heart .

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4 AUG 2020 AT 9:37

4th August in Kashmir
2019
// Read in caption //

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5 MAY 2021 AT 18:32

The sound of the ventilator, I can't bear
These continuous beeps that I hear
All my patients lying in fear
Want to console everyone, I'm right here!

Everybody fears of the separation,
Can tell that without hesitation,
Coz I can see the desperation,
Oh, this overwhelming frustration.

I assure you I'll try my best,
This has been one of my hardest tests,
I'm sorry if I'm impatient and messed,
What more to say, I'm myself so stressed!

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25 APR 2019 AT 0:54

The biggest defeat of life is that,
The persons,
Who are very precious in your life.
Can never realize ,
How much you love them.

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5 JAN 2020 AT 1:11

वो एक छुअन से ही दे यूँही संवार मुझे,
जो रूठ जाऊँ तो फ़िर से ले पुकार मुझे।

ना है ख़याल मेरा ना ही रही फ़िक्र कोई,
एक दरख़्वास्त है कोई ना ही करे प्यार मुझे।

टूट के बिखरा जा रहा हर इक पल अब मैं,
अब जो कोई दे सके तो सिर्फ़ ऐतबार मुझे।

नहीं कर सकती हूँ मैं रोज़ मुक़ाबले उनसे,
ना ही अब माँगता वो हाथ जो दे सँवार मुझे।

तमाम इल्ज़ाम-ओं-शिक़वे तेरे भी झूठे हैं,
आज तक अज़ीज़ है हक़ीक़त-निगार मुझे।

मैंने बस अश्क़ छुपाये हैं सिलवटों में कहीं,
किसी हसीं सी सुबह का ना इंतज़ार मुझे।

क़यामतों के बीच मर के जब बेक़सी ना चुनी,
नहीं फ़िर चाहिए पल भर को भी क़रार मुझे।

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10 DEC 2020 AT 2:15

अजीब दौर से गुज़र रही ये ज़िंदगी भी
उस बात के लिए खुश हूं आज,
जिस बात से कभी नाराज़ रहा करता था....

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2 JAN 2020 AT 23:55

जीने के लिए बार बार मरना ज़रूरी क्यूँ होता है,
जाँ को अपनी जीते जी दूर करना ज़रूरी क्यूँ होता है।

नाराज़ हूँ मैं तुमसे और अपनी तमाम हसरतों से,
बंदिशों में बंध कर बिखरना ज़रूरी क्यूँ होता है।

जान-ए-नाज़ की ख़ातिर फ़िर पत्थर भी हो जाएंगें,
मरते मरते भी दर्द से गुज़रना ज़रूरी क्यूँ होता है।

ये अश्क भी गिरने की ज़ुर्रत अब नहीं कर पाएंगे,
रानाईयाँ तमाम भूल के ठहरना ज़रूरी क्यूँ होता है।

फ़िर मर्ज़ी हो या मज़बूरी फ़र्क नहीं कुछ पड़ता है,
ख़ुदा से किए वादों से मुकरना ज़रूरी क्यूँ होता है।

ख़ुश्क नदियों सी मेरी ये ज़िंदगी बेजान हो चली है,
साहिल ही जब दूर रहे डूबना ज़रूरी क्यूँ होता है।

आँखों के बंद लिफ़ाफ़ों में ही क़ैद रहेगा इश्क़ मेरा,
उनके हर इक सदक़े में रंग भरना ज़रूरी क्यूँ होता है।

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