आत्मालाप
यमराज ने यमदूत से कहा –
‘चार्ट के मुताबिक
एक बहुत बड़ा दलबदलू नेता
आज हिंदुस्तान में नहीं रहा
इससे पहले कि उसकी आत्मा
विधानसभा के चक्कर लगाए
तू फौरन जा
और उसकी आत्मा को लेकर यहाँ आ।’
यमदूत बोला –
'आप भी क्या मजाक करते हैं परमात्मा!
हिंदुस्तान का नेता और
उसके भीतर आत्मा!’
~ प्रदीप चौबे-
लो दुलहाजी थाली लो साला एक मवाली हो
रोटी गरम रूमाली लो खाता मुझसे गाली हो
रसगुल्ला बंगाली लो संगीत हो कव्वाली हो
दही कि एक पाली लो गाड़ी कि भी ताली हो
पहले मुझको साली दो जीजा जेब से खाली है
गोरी चाहे काली दो जैसे कोई सवाली है
उम्र हो जिसकी बाली दो डिग्री इसकी जाली है
चम्पा कमल सि डाली दो अफ़सर नहीं ये माली है
पहले भेंट निराली दो शादी एक दलाली है
बिंदी, काजल, लाली दो मंहगाई में कंगाली है
पायल सोनेवाली दो दुल्हन तो खयाली है
शेर पे मेरे ताली दो डूबी नांव संभाली है
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तुम अंग्रेज़ी की खटर-पटर
मैं हिंदी उबड़-खाबड़ हूँ
तुम कोमलता की उपमा हो
मैं झुंझलाहट का झापड़ हूँ
तुम गगन चूमती इमारत
मैं घर हूँ जर्जर हालत का
तुम नौकरी हो सरकारी
मैं रोज़गार हूँ भारत का
मैं अनुभवहीन अनाड़ी हूँ
और तुम पर्याय कुशलता का
मैं वंशवाद सिनेमा में
तुम अधिकार हो जनता का
कैकई का वरदान हो तुम
मैं दशरथ की लाचारी हूँ
तुम हो इलाज कोरोना का
मैं सस्ती सी बीमारी हूँ-
कल बैठे बैठे यूँ ही पत्नी ने कहा "सुनो जी, ये news वाले कह रहे हैं कि इस लॉकडाउन के बाद हम लोग 15 साल पीछे चले जायेंगे"
सुन कर मेरे चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई और खुशी के मारे मुंह से निकल गया "सच ! मतलब मैं फिर से शादी के लिये अपनी पसंद की लड़की चुन सकूंगा !"
इतना सुनना था कि क्या बताऊँ वो कारीगरी की कि मैं 15 साल आगे चला गया और अब लकड़ी ले के चलता हूं......गजब की कारीगर है....
मैं चाँद के सपने देख रहा था...उसने तारे दिखा दिये.....
😅😅😅-
मैंने एक एजंसी शुरू की है
लोगों को सही सलाह देने की
कल पहला ही फ़ोन एक पत्नी का आया
बोली "सर मेरे पति की एक प्रॉब्लम है..."
अभी वो इतना ही बोली थी कि
मैंने पूछा "क्या मैं उसी से बात कर रहा हूं ?"
उसने अपने पति से ज़्यादा तो मुझे सुनाई
और फ़ोन रख दिया...
क्या मेरा सवाल गलत था ?
कृपया मुझे सही सलाह दें....-
रिश्ते भी क्या आते हमको ठलुआ जानके,
आते तो टूट जाते हमको कलुआ जानके।
अरमान तो टूट-फूट के सब हलुआ हो गए,
कोई राबड़ी मिल जाए हमको ललुआ जानके।
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ऑफ़िस में खाना खाने के बाद
अचानक मैंने स्टाफ़ से कह दिया
"सभी बर्तन सिंक में रख दो
और अपने अपने नैपकिन बाथरूम में...
मैं अभी धो दूंगा"
सभी ताज्जुब से मेरी तरफ़ देखने लगे
तभी मेरे पास ही बैठी मेरी PA ने हौले से
मेरे कान में कहा
"सर आप क्या कह रहे हैं ?
आप घर में नहीं
ऑफ़िस में हैं"
मैं झेंपा और बोला "ऑफ़िस...! ओ हां ऑफ़िस !
हम ऑफ़िस में हैं......😊
मुस्कुराया और अपनी केबिन में चला गया...
उफ़्फ़ कितनी बेइज्जती झेली
लॉकडाउन की आदतों ने तो इज्जत ही ले ली-
नींबू डाल के मेरी आँखों में
मोबाईल ले लेती है
मैं आंखें खोलूं तब तक
सब देख लेती है
उल्लू की तरह रात को भी जागे
मुझे और मोबाईल दोनों को ताके
किसीको मेरे पास फटकने न दे
मेरी आँखों को भटकने न दे
कम्बख़्त नादानी में हमने
ऐसा धोखा खाया
बीवी मांगी थी, ससुर जी ने
बाउंसर थमाया-
कल यूँ ही बैठे हुए पत्नी ने अनायास ही पूछ लिया
"शोना तुम मुझे बॉबी कह कर क्यों नहीं बुलाते ?"
मैंने कहा "क्योंकि मैं ऋषि कपूर नहीं हूं"
तो वो बोली "तो क्या हुआ कपूर तो हो !"
मैंने यूँ ही अपने भोलेपन में कह दिया "पर तुम्हें सामने बैठी देख कर डिंपल जैसी फिलिंग भी तो आनी चाहिए ना !"
आप लोग पढ़ो मैं थोड़ा सेक कर आऊँ...
हमदर्द बन के पूछना मत "दर्द कहां कहां है ?"-