ज़रा सी देर को थककर कहीं बैठा हुआ था मैं वापस ज़माने भर से लड़ने लौट आया हूँ है क़िस्सा खत्म हो चुका मेरा ये सोचने वालो कहानी में नया सा मोड़ लाने लौट आया हूँ
तुम अंग्रेज़ी की खटर-पटर मैं हिंदी उबड़-खाबड़ हूँ तुम कोमलता की उपमा हो मैं झुंझलाहट का झापड़ हूँ तुम गगन चूमती इमारत मैं घर हूँ जर्जर हालत का तुम नौकरी हो सरकारी मैं रोज़गार हूँ भारत का मैं अनुभवहीन अनाड़ी हूँ और तुम पर्याय कुशलता का मैं वंशवाद सिनेमा में तुम अधिकार हो जनता का कैकई का वरदान हो तुम मैं दशरथ की लाचारी हूँ तुम हो इलाज कोरोना का मैं सस्ती सी बीमारी हूँ