तुम्हें हमदर्दी सिर्फ़ तब ही क्यों आती है..
जब वो हवस की आग में जला दी जाती है।
देर रात सड़क की हर लड़की तुम्हें मौका लगती है..
कपड़े छोटे हो तो तुम्हारे तन बदन में आग लग जाती है।
अकेली थी! जरूर कुछ गलती कुछ उसकी भी होगी..
ये बातें तुमसे दबी जुबान में कही तो जाती है
लेकिन ये ख्याल तब क्यों नहीं आता..
जब बारी तुम्हारी बहन की आती है।
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राम मंदिर तो तुमने बना लिया,
अब ज़रा आँगन में खेल रही
सीता को भी सुरक्षित कर लो।-
एक छोटे शहर की लड़की थी इसलिए सब भूल गये,
कोई बड़ी सिनेमा की हस्ती होती तो फर्क पड़ता,
गरीबों के सपनों के शहर ही तो उजड़े हैं,
अमीरों की छोटी सी बस्ती होती तो फर्क पड़ता।
एक मासूम लड़की की रीढ़ की हड्डी ही तो तोड़ी है,
किसी खिलाड़ी की उंगली टूटी होती तो फर्क पड़ता,
एक लाचार नारी की इज़्ज़त ही तो लूटी है,
रईसों की तिजोरियाँ लूटी होती तो फर्क पड़ता।
ना चीखे वो इसलिए उसकी ज़बान ही तो काटी है,
काट दे कोई तन्खा से एक हज़ार तो फर्क पड़ता,
इंसाफ के लिये उन्हें तैरने दो आग के दरिये में,
हमारे पैरों पर जब गिरता अंगार तो फर्क पड़ता।
#hang_the_rapists-
अगर तुम अपनी बहन के लिए शेर हो तो
दूसरे की बहन के लिए सूअर मत बनो,
उसकी रक्षा करो
रक्षक बनो
भक्षक नहीं.-
दोष देश का नहीं मेरे भाई
ख़ुद हमारा है
आत्मा की हम ने करी न सुनवाई
सनातन धर्म हमारा है
भूल गए हम क्यों ये सच्चाई
जिसके बिन न गुज़ारा है-