Jagdish Pandey   (Writer's choice.)
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Joined 20 April 2019


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17 NOV 2021 AT 14:39

तुम्हारा शहर,
तुम ही कातिल,
तुम ही मुद्दई, तुम ही मुंसिफ !
हमें यकीं है कसूर हमारा ही निकलेगा !!

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29 AUG 2021 AT 20:53

ढूंढ ढूंढ के थक गई आंखें
जमी और यह पैरों के निशान,
दूर दूर तक देखा तुझे
नहीं मिला तेरा नामओनिशा,
आजाद हवा है तो गुजर गई होगी
किसी खुले आसमां
ढूंढो अभी तुझे किसी समंदर में
बह गई होगी तू किसी रेत की तरह.

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27 JUL 2021 AT 20:17

गुजर जाते हैं
मौसम बदल जाते हैं
हम भी आजकल मौसम की तरह बदल जाते हैं
अब हमने भी रंग बदलना शुरू कर दिया है
जैसा जमाना अब वैसे हम
लोग कहते हैं तुम तो बर्बाद हो
पहले खुद तो देखो तुम कितने आबाद हो
चल दिए अंगारों में अभी पीछे नहीं देखना है
गुजर जाते हैं जमाने लोगों की यादों में
तस्वीर सिर्फ कैद हो जाती है दीवारों में.

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27 JUL 2021 AT 20:10

ख्वाबों की दुनिया का एक अलग ही एहसास है
जो ना हो वो ख्वाबों में पास है
टूटती है मंजिल दर्द है
बताऊं किस को कोई ना अब हमारा हमदर्द है

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28 JUN 2021 AT 9:36

har roj baarish ki fuhar ek naya ehsas jagati hai.
mano koi apno se milney aay ho.

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3 MAY 2021 AT 19:05

कलयुग की यह घनघोर बीमारी
हर तरफ फैली अफरातफरी और लाचारी
बेबस है इंसान
कब निकल जाए शरीर से यह जान
अफरा तफरी चारों ओर लाशों का अंबार
हे प्रभु रक्षा करो टूट रहा घर बार
टूट रहा संसार
टूट रहा संसार

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1 APR 2021 AT 21:13

प्रेम संबंधों की यह कैसी डोर
मन चंचल फिर भी तेरी ओर
रीत प्रीत और यह मन के गीत
जीवन का आनंद और संगीत
खींचा चला जाए तेरी ओर
मायूस से चेहरे को एक आस बाकी है
खुदा करे मांगी हुई हर मन्नत पूरी हो तेरी
जो अभी बाकी है.

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1 APR 2021 AT 21:08

# सुकून
उलझ गई यह जिंदगी किसी को ढूंढते ढूंढते
तलाश उसकी है जो आज तक मिला ही नहीं

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19 DEC 2020 AT 10:27

तू किसी रेल सी गुजरती है
मैं तेरी आहट से उठ जाता हूं
तू किसी खुशबू से महकती है
मैं उस खुशबू में समा जाता हूं
तन मन भीतर एक नया उबाल आता है
सुबह सवेरे शाम बस तेरा ही ख्याल आता है
तू किसी रेल सी गुजरती है
मैं तेरी आहट से उठ जाता हूं
तू तत्काल टिकट है तो
मैं तत्काल बुक हो जाता हूं
तू इंजन है तो
मैं डब्बा बन जाता हूं
तू किसी रेल सी गुजरती है तो
मैं तेरा छुक छुक बन जाता हूं
तू किसी लंबे सफर में की रातों में
तो मैं तेरा हमसफर बन जाता हूं.

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14 DEC 2020 AT 20:41

कतरा कतरा मोहब्बत की उनसे
जो कभी हमारे ना हो सके
एक दरिया ही तो था दिल का
वह भी पार ना कर सके.

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