बाते कम,ध्यान ज्यादा लगाईए,
आँसू थामिए, और पत्थर हो जाइये..!!!-
परेशां हो जिंदगी में रोज़ के इम्तेहानो से l
अब वो सालाना इम्तेहान याद आयेंगे ll
बना लिया था जिन्हें तुमने दुश्मन अपना l
वो प्यारे उस्ताद याद आयेंगे ll
अब वक़्त बर्बाद करने को भी वक़्त नहीं तुम्हारे पास l
बड़ी फुर्सत से BUNK किये वो CLASS याद आयेंगे ll-
आज हर तरफ शोर है...😉
गुरु की महिमा का...😌
कोई लिख तो कोई पढ़ रहा है...😇
और एक में हूँ जो अपने गुरु के पास...😄
जाके पैर छू आया बिना कोई स्टेटस डाले...🙏-
We All Have A “GURU” Within Us And By
Sitting Peacefully In Meditation, We Can
Connect To It. It Will Be Your Truth, Your
Light, And Your Journey. You Can Be Your
Own Guru. Even If You Feel You Don’t
Know Yourself At All… You Do. You Just
Need To Get Back In Touch With Yourself.
Take A Good Look In The Mirror And
Take Responsibility For Your Life. All
The Wisdom We Need Is Within Us. We
Don’t Need To Seek Outside. Do Not
Give Away Your Power To Someone Else.
Because, In The End, Only You Can Stand
In Your Shoes. Only You Can Enjoy Or
Suffer From Decisions Or Actions...
There Is Magical Power In The Guidance
Of Your Own Heart. Always Treat
Yourself Like A Temple. Because,
THERE IS HEAVEN WITHIN YOU....
-
गुरू ही ब्रह्मा , गुरु ही विष्णु , गुरू में सारे जग समाये,
श्रीराम अधूरे वशिष्ठ बिन , कृष्ण संदीपन बिन बौराये. . .-
Part1
जब बच्चे होंते हैं सब बैठे
तब खड़ा होकर पढ़ाता हूं
श्यामपट्ट पर श्वेत शिला से
कभी लिखकर पाठ पढ़ाता हूं
बच्चों को जल्दी याद हो जाएं
इसलिए कविता गाकर सुनाता हूं
यूं ही नहीं मैं टीचर बन जाता हूं।
बच्चे स्कूल गर देर से आवैं
तो उनकी डांट लगाता हूं
इसलिए स्वयं समय पर पहुंचने
की पूरी कोशिश करता हूं
चाहे आए आंधी बारिश
या देर से खुले आंख
यदि न हो नाश्ता तैयार
तो भी समय पर पहुंचता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
जब आता है तेज़ बुखार
या आए सर्दी जुकाम
तब भी पढ़ाने आता हूं
जब होता है सर दर्द बहुत
आज नहीं पढ़ाऊंगा कहते कहते
पूरी अवधि पढ़ाता हूं
यूं हीं नहीं मैं टीचर बन जाता हूं।-
Part 2 आज के फैशन के दौर में
मैं साधारण कपड़े पहनता हूं।
बच्चे सादगी को समझें
इसलिए सदा जीवन जीता हूं
बच्चे को समझ में आ जाए
इसलिए मजाक भी बनवाता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
कुछ गलत दिशा पर भटक चले
बच्चे सादगी का मजाक बनाते हैं
तो क्या हुआ जब उनके साथी
अपने शिक्षक का सम्मान करते हैं
अपने शिक्षक से पढ़ना चाहते हैं
बस यही सोचकर मैं पढ़ाता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
हां गलत दिशा में भटके हुए
बच्चों की डांट लगाता हूं
अगर शैतानी ज्यादा करें तो
पिटाई भी कर देता हूं
ऐसा उनके भले के लिए ही करता हूं
लेकिन बाद में बहुत पछताता हूं
गर कट जाता स्कूल से नाम
प्रधान के पास मैं ही जाता हूं
नाम न काटने की विनती करता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
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Part 3
जब होते हैं बच्चों के एग्जाम
तो उनकी चिंता मेरी भी होती है
गर आते हैं अच्छे मार्क्स
तो तारीफ़ बच्चे की करता हूं
कम नंबर आने का दोष जब
मुझ पर लगाया जाता है
तो हलाहल कि तरह
ये घुंट भी पी लेता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
शिक्षक दिवस पर बच्चों से
तोहफ़े की उम्मीद तो करता हूं
पर जब 5 रुपए के pen से लिखने वाला
बालक 20 रूपए का pen देता है
अपने शिक्षक के सम्मान में पत्र
रात को जागकर बनाता है
तो में उसकी भावना का सम्मान करता हूं
उसका ये सम्मान पत्र महीनों पास रखता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं।
जब वर्षों बाद वो मुझे मिलने आता है
कैसे हो तुम, मैं उससे यही पूछता हूं
सदा आगे बढ़ते रहो ये आशीष देता हूं
यूं ही नहीं मैं शिक्षक बन जाता हूं
इतना कुछ करने के बदले में,
मैं सिर्फ गुरु दक्षिणा चाहता हूं
गुरु दक्षिण में कुछ धन और,
थोड़ा सा सम्मान चाहता हूं
नहीं दे सके तो भी क्या,
गुरु दक्षिणा के बिना भी
मैं शिक्षक बन जाता हूं।
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Prem Ka Rang गुलाबी
आस्था Ka Rang Gerua
Dhadkan Kahe महादेव
Aur मन कहे Shiva Shiva !!❣-