चूल्हे की आग पर पक जाता है
सबकुछ
बस पक नही पाता तो वो है
गृहिणी का सम्मान
कितना भी बचाने की कोशिश कर लो
वो जल के राख हो ही जाता है...!!-
थोड़ा आलसी हमें भी बनने दो
लेने दो हमें फूलों की खुशबू
सुनने दो चिड़ियों की चहचहाहट
मन की उम्मीदों को पंख लगने दो
थोड़ा आलसी हमें भी बनने दो
सुनने दो मां की वो लोरी
जिससे आए मीठी नींद
अब तो खिलखिला कर हंसने दो
थोड़ा आलसी हमें भी बनने दो
भूल गए थे सखियों संग खेलना
भूल गए थे वो कच्ची कैरीया
मां की वो चुल्हे की गरम रोटियां
ख्वाहिशों को अब तो जगने दो
थोड़ा आलसी हमें भी बनने दो
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#गृहिणी
कल्पनाओं की उन्मुक्त उड़ान को,
साड़ी के आंचल की तरह कमर में
खोंसकर,,
कुछ रंगीन सपनों के बिखरे रंगों को,
अपने खुले बिखरे बालों के जूड़ें में
समेटकर,,
घड़ी की टिकटिक संग,फैले घर को
सहेजने,सोफे से उठ जाती हूँ,,,,,,,,,,,
मैं अपने विभिन्न किरदारों को पूरी शिद्दत से
निभाने के लिए,,
घर के कामों में जुट जाती हूँ,,,
~लिली😊
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पलकों में कोई ख़्वाब सजा लू,
सोने- जागने का नियम बना लू |
जुनून बरकरार रहे, किन्तु,
'गृहिणी' हूँ मैं पहले घर सजा लू ||
©निशितिवारी-