तुझसे तो कोई गिला नहीं है
क्योंकि..क़िस्मत में मेरी सिला नहीं है।।
जो ज़ीस्त को मोतबर बना दे,
ऎसा.. कोई सिलसिला नहीं है।।
ख़ुश्बू का हिसाब हो चुका है,
पर.. फूल अभी खिला नहीं है।।
रास्ते मेरे मेरी मर्ज़ी के तबे है,
मगर..तेरे लिए कोई मिन्हा नहीं है।।
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