अब समझ आने लगा मुझे
लड़कियाँ बड़ी होकर क्यों
गुड़ियों से नहीं खेलती क्योंकि
जब वो बड़ी होती हैं तो लोग
उनकी जिंदगी से खेलने लगते हैं-
आज़ाद नहीं कोई यहाँ, सबके अपने गम है,
होठों पे हंसी है मगर, सबकी आँखें नम है।-
अब तो हँसने से भी डर लगता है.......
कहीं मेरे गम बुरा न मान जायें!!-
इस शोर भरे शहर में भी खामोश होकर बैठा हूँ।
न जाने कितने गमों को अपने भीतर समेटकर बैठा हूँ।।-
इस वक़्त की गर्दिशों का ग़म ना करो
बदल जाएंगे हालात आंखें नम ना करो
टिका है कौन सा तूफ़ान अब तलक यहां
बस मुश्किलों में हौंसले कम ना करो-
मुझे मंज़ूर था लोगों का लगाया हर एक इल्ज़ाम
कम्बख्त अब अपनों से , अपने लिए ओर कितनी बहस करती-
आशिकी सच्ची अगर की है तुमने ....
तो केवल गम और गम होगा...
डॉक्टर, हकीम, वैध कुछ भी बुला ले...
दर्द तेरा ना कम होगा...-
दिल में गम, आंखों में नमी...
चेहरे पर उदासी, जिंदगी में कमी...
बेबसी रूह में और होठों पे मुस्कान...
जालिम, यही तो है,मोहब्बत में बर्बाद...
एक तरफा आशिक की पहचान...-