प्यार का ज़िक्र तो उसने भी नही किया था
एक मुलाकात को ए दिल तू कैसे मोहब्बत समझ बैठा !-
छोटी सी बातों पर रूठना मना है,
जरा सी जिंदगी में अंधेरा घना है।
हर पल तो यहां आख़री लगता है,
तेरा गुरूर किस बात पर ठना है।
जुबां से बेहतर दिल खोल बात कर,
हर रिश्ता गलतफहमियों से सना है।
सांस टूटते ही सब छूट जाता है,
कैसी भागा भागी, कैसा फितना है।
जिसे याद रखना था उसे भूला दिया,
हरियाली जा चुकी, बस सूखा तना है।
ज़िंदगी फकत नींद भर है सफ़र तेरी,
सुब्ह उठकर आख़री सफ़र को चलना है।-
कुछ लोग ऐसे होते हैं .....
जो हमारी बातों को खुद से
समझ नहीं सकते ,और
अगर हम उन्हें समझाना चाहे
तो समझना भी नहीं चाहते।-
गलतफमियों में ही खो गए वो रिश्ते ,
वरना कुछ वादे अगले जन्म के भी थे !!-
गलतफहमीओं के किससे इतने दिलचस्प हैं
हर ईट सोचती है
दीवार मुझ पर टिकी है..-
Suna hai bohut barish ho rehi hai tumhare sahar me
Jada Bhigna mat
Agar Dhul geyi sari Galatfahmiya
To bohut yaad ayenge Hum-
Sometimes I feel misunderstanding is better.
At least you are the best...
But my heart is unable to accept the reality...-
बार-बार मन को
व्यंग्य की तरह कचोटता है।
तुम्हारे मुख से निकला
सम्प्रीती का वह आखिरी शब्द।।
अधरों से निकले तुम्हारे वो
अश्रु, मेरे हर गुनाह माफ करते गए।
मेरी नादानीयों की व्याख्या
एक अथाह समुद्र जैसी है।।
चंद हवाओं के झोंकों ने
गलतफहमियों की दीवार
खड़ी कर दी जिसे रौंदना
अब बेहद मुश्किल है।।-