'हिम्मत'
सुबह से ही अपने विचारों में खोया हुआ था, तबियत भी ठीक नहीं लग रही थी, शरीर टूटा हुआ था सांसे टूटी हुई थी और मैं बस बिस्तर पर पड़ा था।
अचानक से 'ओम् नमः शिवाय ओम् नमः शिवाय' कहते हुए चाचा जी कमरे में आये। आवाज से मेरा पूरा ध्यान उस सकारात्मकता में खो गया जिसकी सुगंध कमरे में चारों तरफ फैली हुई थी।
अचानक विचार खत्म हो गये, हिम्मत वापिस जुटाई। मैंने खुद को उठाया और उसी ताज़गी से आईना देखकर मुस्कुराया और बाहर आ गया।
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