ऐ मुसाफिर यूँ झूँठी आस ना कर,
तु इतनी सिद्दत से फरियाद न कर
रह नहीं पाएगा बिना किसी के,
यूँ झूँठी बातें खुद से किया न कर
अकेले आया था अकेले ही जाएगा,
यूँ साथ जीने-मरने की क़समें खाया न कर
क्या हुआ जो अकेला है सफर में,
रब साथ है तेरे,तु दूसरे कंधे तलाशा न कर
ऐ मुसाफिर यूँ आस छोड़ा ना कर,
दौर तेरा भी आएगा ये बात भूला न कर।।
-