के उसने मुझे पत्थर दिल बोल कर छोड़ दिया क्यो ना इसें मैं अपनी तक़दीर से बढ़कर समझू इश्क़ की आग है इस पत्थर दिल मे भी बहुत ज्यादा मैं नही चाहता की तुम मुझे दिलबर कहना मेरे मेहबूब तुम्हे मेरी मोहब्बत की कसम आज के दिन से हमेसा मुझे पत्थर दिल कहना
हम तो तालाब देखने निकले थे सामने समांदर मिल गया,,,,, आपके लिये थोड़ा प्यार हमारे दिलके अंदर खिल गया,,,,, ईस नाशेली आँखोसे हम बच कहाँ सखते थे मोहतरमा ,, वरना प्यारके तालवारो से तो बरे बरे सिकांदर तक हिल गया,,,,,